हकों की बात मत करना |
मोहब्बत की करो बातें हकों की बात मत करना ,
कटें खिदमत में दिन-रातें हकों की बात मत करना !
मुनासिब है रहो मसरूफ़ सजने और संवरने में ,
अक्ल से देना ना मातें हकों की बात मत करना !
नहीं जायज़ ज़माने में खुली घूमें -फिरें औरत ,
तुम्हें हम आज समझाते हकों की बात मत करना !
बगावत करने की मत सोचना हरगिज़ मेरी बेगम ,
ये हैं ख्वाबी करामातें हकों की बात मत करना !
तुम्हें 'नूतन' मैं गाढ़ दूंगा ज़िन्दा ज़मीन में ,
रही जो आँख दिखाते हकों की बात मत करना !
शिखा कौशिक 'नूतन'
6 टिप्पणियां:
सच्चाई को शब्दों में बखूबी उतारा है आपने आभार . ये है मर्द की हकीकत आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
बहुत कुछ सोचने पे विवश करती सार्थक रचना
मार्मिक सब्जेक्ट पर लिखी रचना | बढ़िया
बहुत सुन्दर रचना
आपकी यह रचना निर्झर टाइम्स (http://nirjhar-times.blogspot.in) पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें और अपने सुझाव दें।
सुन्दर रचना
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