
...
"काश..तुम भी मेरे ख़्वाब से निकल सामने होते..नाज़ुक-से बेरहम काँच बहुत चुभते हैं..!! काश..पलकें गुनगुनाती संगीत तेरे-मेरे मिलन का..आँखों को चीरती बेगैरत रिवायत बहुत सतातीं हैं..!!!
काश..तुम समझते उल्फत-ए-रूह और मेरा आवारापन..!!"
...
--
प्रियंकाभिलाषी..
११ जून, २०१३..
4 टिप्पणियां:
sundar v sarthak prastuti .aabhar
बहुत सुन्दर भावों की अभिव्यक्ति आभार जो बोया वही काट रहे आडवानी आप भी दें अपना मत सूरज पंचोली दंड के भागी .नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
धन्यवाद शिखा कौशिक जी..
धन्यवाद शालिनी कौशिक जी..
एक टिप्पणी भेजें