मेरे पिता -मेरे जीवनदाता
सूरज की चमक भी उनसे कम है;
फूलों की महक भी उनसे कम है ;
वो रख दें सिर पे हाथ जो आशीषों वाला ;
जन्नत की ख़ुशी भी उससे कम है ;
वो मेरे पिता हैं -मेरे जीवन दाता .
सूरज की ......
उनकी नजरों से देखा जग सारा ;
हर पल देते हैं हमको वो सहारा ;
अनुशासन में हैं पक्के,हर बात में दम है .
सूरज की ......
दुनिया के सातों रंग दिखाते ;
दुनियादारी के ढंग सिखाते ,
जब साथ मिला है उनका तो क्या कोई ग़म है !
सूरज की .....
शिखा कौशिक
6 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (16-06-2013) के चर्चा मंच 1277 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
pita ko jo samman diya jata hai aur jo unase bachchon ko milata hai usake liye kitna hi shukriya karen kam hai lekin bas itana hai ki ham unake samman ko jeevan paryant kaayam rakhen.
वाकई पिता ही अनुशासन सिखाते हैं
जीवन जीने की कला भी वही सिखाते हैं
पिता को समर्पित सुंदर रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई
आग्रह है- पापा ---------
बहुत सुन्दर भावों की अभिव्यक्ति आभार . मगरमच्छ कितने पानी में ,संग सबके देखें हम भी . आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN क्या क़र्ज़ अदा कर पाओगे?
आभार
हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
भारतीय नारी
.बहुत सुन्दर अनुभूति की अभिव्यक्ति!
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