तिरंगा शान है अपनी ,फ़लक पर आज फहराए ,
फतह की ये है निशानी ,फ़लक पर आज फहराए .
रहे महफूज़ अपना देश ,साये में सदा इसके ,
मुस्तकिल पाए बुलंदी फ़लक पर आज फहराए .
मिली जो आज़ादी हमको ,शरीक़ उसमे है ये भी,
शाकिर हम सभी इसके फ़लक पर आज फहराए .
क़सम खाई तले इसके ,भगा देंगे फिरंगी को ,
इरादों को दी मज़बूती फ़लक पर आज फहराए .
शाहिद ये गुलामी का ,शाहिद ये फ़राखी का ,
हमसफ़र फिल हकीक़त में ,फ़लक पर आज फहराए .
वज़ूद मुल्क का अपने ,हशमत है ये हम सबका ,
पायतख्त की ये लताफत फ़लक पर आज फहराए .
दुनिया सिर झुकाती है रसूख देख कर इसका ,
ख्वाहिश ''शालिनी''की ये फ़लक पर आज फहराए .
. .................. शालिनी कौशिक [कौशल]
3 टिप्पणियां:
बहुत शानदार -सामयिक-सार्थक प्रस्तुति .स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !
बहुत सुन्दर शालिनी जी हम और भी फक्र करेंगे इस तिरंगे पर यदि इस देश की हर नारी स्वतंत्र और सुद्रढ़ हो जाए ---बहुत बढ़िया लिखा है जय हिंद स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं
thanks rajesh ji aur shikha ji.
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