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शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

राजेश कुमारी जी को हार्दिक शुभकामनायें

राजेश कुमारी जी को हार्दिक शुभकामनायें 
Congratul...

राजेश कुमारी जी को वर्ष २०११ की सर्वश्रेष्ठ लेखिका ब्लोगर  (यात्रा वृतांत ) चुने जाने पर हार्दिक शुभकामनायें 
                                           shikha kaushik

गुरुवार, 30 अगस्त 2012

क्या आप सहमत हैं श्री नरेंद्र मोदी के इस बयान से ?


क्या आप सहमत हैं श्री नरेंद्र मोदी के इस बयान से ?

[अहमदाबाद. गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य वर्ग को लेकर विवादास्पद बयान दिया है। अमेरिका के मशहूर अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिए गए  इंटरव्यू में मोदी से जब पूछा गया कि उनके राज्य में कुपोषण की दर इतनी ज़्यादा क्यों है, तो इसके जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा, 'गुजरात मोटे तौर पर शाकाहारी राज्य है। और तो और गुजरात एक मध्य वर्गीय (मिडल क्लास) राज्य है। मध्य वर्ग को सेहत से ज़्यादा सुंदरता की फिक्र होती है-यही चुनौती है।'
मोदी यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा, 'अगर मां अपनी बेटी से कहती है कि दूध पियो, तो इसे लेकर दोनों में झगड़ा होता है। बेटी अपनी मां से कहती है, मैं दूध नहीं पिऊंगी क्योंकि मैं मोटी हो जाऊंगी। हमें इसमें बड़ा बदलाव लाना होगा। इस मामले में भी गुजरात एक आदर्श राज्य बनेगा। मैं कोई बड़ा दावा नहीं करूंगा क्योंकि मेरे पास कोई सर्वे रिपोर्ट नहीं है।' ]


अब आई इनकी बारी ; कर लो अब तैयारी ,

जो करे गलत बयानी ;उसको दो मात करारी ,

जागो भारत की नारी !जागो भारत की नारी !
                                                                                                                            शिखा कौशिक 

मंगलवार, 28 अगस्त 2012

TODAY IS HIS BIRTHDAY [29 AUGUST ] AND TELL ME WHO IS HE ?


TODAY IS HIS BIRTHDAY [29 AUGUST ] AND TELL ME  WHO IS HE ?

CAN YOU TELL ME WHO IS HE ?

                            [google se sabhar ]




 FRIENDS HE IS THE HEART OF  OUR INDIAN HOCKEY .HE IS ''MAJOR DHYANCHAND '' .THE MAGICIAN OF INDIAN HOCKEY .
                             KNOW  MORE  ABOUT  HIM  -I  HAVE  TAKEN  THIS  FROM -
[http://www.essortment.com/field-hockey-game-rules-58939.html ]
                    
Dhyan Chand was the greatest player the sport has known. His astounding skills have been glorified in various apocryphal stories and anecdotes. A number of such legends revolve around the fact that he had a magical control over dribbling the ball.
He played as the centre forward at three Olympic Games for India winning Gold Medals at Amsterdam in 1928, Los Angeles in 1932 and Berlin in 1936 where he was the captain.

He was a member of the first Indian overseas army team that toured New Zealand in 1926. The team played 21 matches and scored 192 goals with Dhyan Chand scoring over one hundred.

At the Amsterdam Olympics he scored twice as India beat the Netherlands 3-0 in the final.
Four years later at the Los Angeles Olympics India defeated USA 24-1 with Dhyan Chand bagging eight.

At the Berlin Olympics, India cruised to the final beating Hungary 4-0, USA 7-0, Japan   9-0 and France 10-0. In the final against Germany, India scored only once until half time. During the break the maestro removed his shoes to play barefoot and guide India to an emphatic 8-1 victory.

The wizard kept playing till the age of 42 and was awarded the Padma Bhushan in 1956.
The country celebrates his birthday, 29 August, as National Sports Day when the President of India gives away all sports awards.           
                                                                        
                                                                                         SHIKHAKAUSHIK 

रविवार, 26 अगस्त 2012

धिक्कार इस जनतंत्र पर !


धिक्कार इस जनतंत्र पर !



है विषमता ही विषमता  
जाती जिधर  भी है नज़र ,
कारे खड़ी  गैरेज में हैं  
और आदमी फुटपाथ  पर  .

एक तरफ तो सड़ रहे 
अन्न के भंडार हैं ,
दूसरी तरफ रहा 
भूख से इंसान मर    
 है विषमता ही विषमता  


निर्धन कुमारी ढकती तन 
चीथड़ों को जोड़कर
सम्पन्न बाला उघाडती  
कभी परदे पर कभी  रैंप पर 
 है विषमता ही विषमता  

मंदिरों में चढ़ रहे 
दूध रुपये मेवे फल  ,
भूख से विकल मानव 
भीख मांगे  सडको  पर 
 है विषमता ही विषमता  

कोठियों में रह रहे  
जनता के सेवक ठाठ से  ,
जनता के सिर पर छत नहीं 
धिक्कार इस जनतंत्र पर !

                      शिखा कौशिक 

शुक्रवार, 24 अगस्त 2012

बचपना -एक लघु कथा


बचपना -एक लघु कथा 
google se sabhar 

एक वर्ष हो गया सुभावना के विवाह को ,मेरी पक्की सहेली . बचपन से दोनों साथ -साथ स्कूल जाते ,हँसते ,खेलते पढ़ते .कभी मेरे नंबर ज्यादा आते कभी उसके लेकिन दोनों को एक दूसरे के नंबर ज्यादा आने पर बहुत ख़ुशी होती .एक बार मैं तबियत ख़राब होने  के कारण स्कूल नहीं जा पाई तब सुभावना ही रोज मेरे घर आकर मेरा काम किया करती थी ।हमारे मम्मी पापा की भी अच्छी बनती थी ।जब भी हमारे मम्मी पापा बाहर  जाते हम बिना किसी संकोच के एक दूसरे के घर रह लेते थे .सुभावना के दो छोटी बहने और थी इसलिए उसके मम्मी पापा चाहते थे कि अच्छा घर मिलते ही उसके हाथ पीले कर दे .यद्यपि मैं सुभावना से अलग होने की सोचकर भी घबरा जाती थी ,लेकिन उसके मम्मी पापा की चिंता भी देखी  नहीं जाती थी.मम्मी इस बार नैनीताल गयी तो लौटकर आते ही मेरे साथ सुभावना के घर गयी । मम्मी ने उसके मम्मी पापा को एक तस्वीर दिखाई और बोली ''ये लड़का दुकानदार है पर  अच्छी इनकम हो जाती है ,सुभावना से कुछ साल बड़ा है पर शादी करना चाहे तो कर दे लड़का शरीफ है .'उसके मम्मी पापा को लड़का पसंद आ गया और जब हमारे इंटर के पेपर हो गए तब जून माह में सुभावना का विवाह हो गया .उसकी विदाई पर मैं और वो गले लगकर खूब रूए .पिछले माह उसकी मम्मी हमारे यहाँ आई .मिठाई का डिब्बा उनके हाथ में था .वे बोली ''सुभावना के बेटा हुआ है ''..यह खबर पाकर हम ख़ुशी से झूम उठे.उन्होंने बताया कि सुभावना एक माह बाद यहाँ आएगी .मेरी   बी ए  प्रथम वर्ष की  परीक्षाएं  भी पूरी होने आ गयी थी .मैं बेसब्री से उसके आने का इन्तजार करने लगी .कल उसकी छोटी बहन हमारे घर आकर बता गयी कि ''सुभावना आ गयी है ''मेरा मन था कि अभी चली जाऊ पर मम्मी ने कहा कि कल को चलेगे  .आज  जब सुभावना के घर पहुची तब उसे पहचान नहीं पाई .कितनी अस्त-व्यस्त सी लग रही थी .करीब एक घंटे तक बस ससुराल की बुराई करती रही .मम्मी के कहते ही कि ''चल' मैं तुरंत चल पड़ी वर्ना एक एक मिनट कहकर मैं एक घंटा लगा देती थी .उसके घर से लौटते समय मैं समझ चुकी थी कि सुभावना का बचपना खो चुका  है और वो भी जिन्दगी को समझने लगी है .

गुरुवार, 23 अगस्त 2012

Tasleema nasreen poetry--they said


Tasleema nasreen poetry
They said—take it easy…
Said—calm down…
Said—stop talkin'…
Said—shut up….
They said—sit down….
Said—bow your head…
Said—keep on cryin', let the tears roll…

What should you do in response?

You should stand up now
Should stand right up
Hold your back straight
Hold your head high…
You should speak
Speak your mind
Speak it loudly
Scream!

You should scream so loud that they must run for cover.
They will say—'You are shameless!'
When you hear that, just laugh…

They will say— 'You have a loose character!'
When you hear that, just laugh louder…

They will say—'You are rotten!'
So just laugh, laugh even louder…

Hearing you laugh, they will shout,
'You are a whore!'

When they say that,
just put your hands on your hips,
stand firm and say,
"Yes, yes, I am a whore!"

They will be shocked.
They will stare in disbelief.
They will wait for you to say more, much more…

The men amongst them will turn red and sweat.
The women amongst them will dream to be a whore like you.
be confidant,be cofidant be confidant,If your soul is pure,divine god is with you don't get scare of any thing.

बुधवार, 22 अगस्त 2012

मिशेल ओबामा से ताकतवर हैं सोनिया-READ THIS POST


THIS IS REALLY GREAT THAT OUR DEAR LEADER MRS.SONIYA GANDHI JI HAS ACHIEVED 6TH RANK IN WORLD'S WOMAN ACHIEVERS -  

मिशेल ओबामा से ताकतवर हैं सोनिया] *वॉशिंगटन. *दुनिया की ताकतवर महिलाओं की लिस्‍ट में कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी छठे स्‍थान पर पहुंच गई हैं। फोर्ब्‍स मैगजीन की ओर से जारी ताजा सूची...

मंगलवार, 21 अगस्त 2012

नारी के तुल्य केवल नारी


नारी के तुल्य केवल नारी 

     

                        

क्या कभी कोई कर पायेगा 
   तुलना नारी के नाम से,
     क्या कोई अदा कर पायेगा
         सेवा की कीमत दाम से.
 
नारी के जीवन का पल-पल
   नर सेवा में समर्पित है,
      नारी के रक्त का हरेक कण
          नर सम्मान में अर्पित है.
क्या चुका पायेगा कोई नर
   प्यार का बदला काम से,
       क्या कोई अदा कर पायेगा
           सेवा की कीमत दाम से

माँ के रूप में हो नारी
  तो बेटे की बगिया सींचें,
    पत्नी के रूप में होकर वह
       जीवन रथ को मिलकर खींचें.
क्या कर सकता है कोई नर
   दूर उनको मुश्किल तमाम से,
      क्या कोई अदा कर पायेगा
         सेवा की कीमत दाम से.
 
बहन के रूप में हो नारी
    तो भाई की सँभाल करे,
      बेटी के रूप में आकर वह
         पिता सम्मान का ख्याल करे.
क्या दे पायेगा उनको वह
   जीवन के सुख आराम से,
       क्या कोई अदा कर पायेगा
          सेवा की कीमत दाम से.

         शालिनी कौशिक
            [kaushal]

सोमवार, 20 अगस्त 2012

हसरतों के बीज


अधूरी हसरतों की 
अनगिनत लकीरें देखी
उसकी हथेली में 
उसकी पेशानी पर 
वो आसमा छूना चाहती थी कभी 
लहराना चाहती थी 
अपनी हसरतों ,अपनी अभिलाषाओं 
का पंचम वहां 
पर उसके पैरों के नीचे 
से सीढ़ी खींच ली   गई 
एक दिन पंख फैला कर 
उन्मुक्त गगन में 
उड़ते हुए सितारे गिनने चाहे उसने 
पर पंख कुतर दिए गए 
अपने होंसले और 
क्षमता से विस्तृत सागर 
को पार करना चाहा उसने 
पर पिंजरे में कैद कर दिया 
अपना हुनर दिखाना चाहा उसने 
पर मंच पर चढ़ने नहीं दिया 
क्यूंकि वो एक स्त्री थी 
उसकी हसरतों का क्या मूल्य है यहाँ ??
उसे तो अपने मन के आँगन में 
हसरतों के बीज बोने का भी 
अधिकार नहीं 
अगर बो दिए और पौधे 
निकल भी आये तो रोप देंगे वो 
और नाकाबिलियत का पट्टा
डालकर गले में 
बैठा देंगे किसी घर के कौने में 
और फिर एक दिन 
जल जायेंगी उसकी माथे की 
अधूरी हसरतों की लकीरें 
उसके जिस्म के साथ 
और पटाक्षेप हो जाएगा 
उसके अध्याय का 
*******
अब तक होता आया जो बस अब और नहीं और नहीं !! 

रविवार, 19 अगस्त 2012

मृत्यु तक फांसी पर लटकाया जाये गोपाल कांडा को !


मृत्यु तक फांसी पर लटकाया जाये गोपाल कांडा को !
geetika.jpg 
[मरते दम तक गीतिका के साथ हुई दरिंदगी]
'कांडा सिलेक्ट करता था लड़कियों की ड्रेस व शूज'

नन्ही सी चिड़िया  और  हैवान बाज़  !

नन्ही सी चिड़िया  उड़  रही  थी  ;
नन्हे  से  दिल   को  थाम    ,
पीछे  से  आया  दुष्ट  
बाज़  एक  शैतान  ,
बोला  सिखाऊंगा  तुझे  
ऊँची  मैं  उडान  ,
तुझको  दिखाऊंगा  
शोहरत   के  आसमान  ,
उड़ने  लगी  भोली  सी   वो   
उसको   न  था  गुमान  ,
ऊँचें  पहुचकर  नोंचने  
लगा  उसे हैवान ,
जख्म इतने  दे  दिए 
वो हो गयी निढाल ;
गिर पड़ी ज़मीन पर 
त्याग  दिए प्राण ,
चिड़िया थी प्यारी ''गीतिका '' 
और बाज़ है ''गोपाल ''
ऐसी  मिले सजा इसे कि 
काँप जाये काल !!!

गीतिका को वापस न ला पायेंगें !

नन्ही सी गीतिका के संवार कर बाल ;
माँ ने किया होगा लाडो से ये सवाल 
क्या बनेगी नन्ही सी मेरी परी बड़ी होकर ?
फैलाकर नन्ही बांहें वो बोली  होगी हंसकर 
माँ मैं उड़नपरी बनकर आसमान में उडूँगी
ला तारे तोड़कर तेरी गोद में भरूँगी ,
चूमा होगा माँ ने माथा अपनी इस कली का 
पर क्या पता था दोनों को होनी के खेल का ?
एक हैवान ''गोपाल'' उनके जीवन में आएगा ,
सपने दिखाकर कली को हो नोंच जायेगा ,
उसने खरोंच  डाला गीतिका का तन मन 
और माँ से उसकी उड़न  परी को दूर ले गया 
इतनी दूर कि चाहकर भी कोई 
गीतिका को वापस नहीं ला सकता !!!

[    इस हैवान के लिए बस एक ही सजा है ''मौत की सजा '']

                                          शिखा कौशिक 
                             [विचारों का चबूतरा ]



शनिवार, 18 अगस्त 2012

...फ़िर कोख में क्यों मार दी जाती है बेटियाँ।





घर में जो हँसती खेलती आती है बेटियाँ।
लक्ष्मी को साथ ले के ही आती है बेटियाँ।
आने से उनके घर हमें लगता है स्वर्ग-सा।
संसार में मध घोलती जाती है बेटियाँ।
त्यौहार हो या पर्व हो आता निखार जो।
रंगों से गीतमाला से लाती है बेटियाँ
बचपन से जो जवानी तक कदम बढे चले
माँ बाप का हर वादा निभाती है बेटियाँ।
बाबुल के घर से चल पडी ससुराल कि तरफ।
छुपछुप के रोती हमको रुलाती है बेटियाँ।
थक जाये गर जो माँ कभी दिनभर के काम से।
माँ की बगल में सो के सुलाती है बेटियाँ।
माँ-बाप को बुख़ार जो आ जाये एक दिन
गीतों में अपना प्यार सुनाती है बेटीयाँ।
ग़र बेटियाँ “महान” है रज़िया की नज़र में।
फ़िर कोख में क्यों मार दी जाती है बेटियाँ।

शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

''WOMAN ''


google se sabhar 



I want to live proudly 

I love to do everything fearlessly

I wish to make my dreams true

I like to gain veneration

I prefer revolt than compromise 

I am a ''WOMAN '' Who Opposes

Man's Autocratic Nature .
                                                shikha kaushik
                       http://gulkakaushik.blogspot.com


गुरुवार, 16 अगस्त 2012

आज की शिक्षित नारी


मैं स्वछन्द ,नीर की बदरी हूँ जहां चाहे बरस जाऊँगी
मैं कोई धागा तो नहीं कि सुई के पीछे -पीछे आऊँगी|
मैं मस्त पवन कि खुशबू हूँ जहां चाहे बिखर जाऊँगी 
मैं कोई काजल तो नहीं कि पलकों में सिमट जाऊँगी |
मैं उन्मुक्त सशक्त पतंग हूँ उच्च गगन में लहराऊँगी 
मैं  कोई    मैना तो नहीं कि पिंजरे में कैद हो जाऊँगी
मैं पाषाण हिय कि नारी हूँ अपनी क्षमता  दिखलाऊंगी   
मैं कोई शुष्क  लकड़ी तो नहीं कि आरी से कट जाऊँगी|
मैं आज की शिक्षित नारी हूँ कभी शीश नहीं झुकाउँगी
नारी अबला होती है  मैं यह प्रचलित कथन मिटाऊँगी