फ़ॉलोअर

शनिवार, 8 दिसंबर 2012

सोनिया जी को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनायें !

सोनिया जी को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनायें !

Rajiv Gandhi - 2728
२१ मई १९९१ की रात्रि  को जब तमिलनाडु  में श्री पेराम्बुदूर   में हमारे प्रिय नेता राजीव  गाँधी जी की एक बम  विस्फोट में हत्या  कर दी गयी वह क्षण पूरे भारत वर्ष को आवाक कर देने वाला था .हम इतने व्यथित थे.... तब  उस स्त्री के ह्रदय  की वेदना  को समझने   का प्रयास  करें  जो अपना  देश ..अपनी संस्कृति  और अपने परिवारीजन  को छोड़कर यहाँ हमारे देश में राजीव जी की सहगामिनी -अर्धांगिनी बनने आई थी .मैं बात कर रही हूँ सोनिया गाँधी जी की .निश्चित रूप  से सोनिया जी के लिए वह क्षण विचिलित  कर देने वाला था -
''एक हादसे ने जिंदगी का रूख़ पलट दिया ;
जब वो ही न रहा तो किससे करें गिला ,
मैं हाथ थाम जिसका  आई थी इतनी  दूर ;
वो खुद बिछड़   कर दूर मुझसे चला गया  .''
सन १९८४ में जब इंदिरा जी की हत्या की गयी तब सोनिया जी ही थी जिन्होंने राजीव जी को सहारा दिया पर जब राजीव जी इस क्रूरतम  हादसे का शिकार हुए तब सोनिया जी को सहारा देने वाला कौन था ?दिल को झंकझोर कर रख देने वाले इस हादसे ने मानो सोनिया जी का सब  कुछ ही छीन लिया था .इस हादसे को झेल जाना बहुत मुश्किल रहा होगा उनके लिए .एक पल को तो उन्हें यह बात कचोटती ही होगी कि-''काश राजीव जी उनका कहना मानकर राजनीति में न  आते ''पर ....यह सब सोचने का समय अब कहाँ  रह  गया था ?पूरा  देश चाहता था कि सोनिया जी कॉग्रेस की कमान संभालें लेकिन  उन्होंने ऐसा  नहीं किया .२१ वर्षीय पुत्र राहुल व् 19 वर्षीय पुत्री प्रियंका को पिता  की असामयिक मौत के हादसे की काली छाया से बाहर  निकाल  लाना कम चुनौतीपूर्ण  नहीं था .
अपने आंसू पीकर सोनिया जी ने दोनों को संभाला और जब यह देखा कि कॉग्रेस पार्टी कुशल  नेतृत्व के आभाव में बिखर रही है तब पार्टी को सँभालने हेतु आगे  आई .२१ मई १९९१ के पूर्व  के उनके जीवन व् इसके बाद के जीवन में अब ज़मीन  आसमान  का अंतर  था .जिस राजनीति में प्रवेश करने हेतु वे राजीव जी को मना  करती  आई थी आज वे स्वयं  उसमे स्थान बनाने  हेतु संघर्ष शील थी .क्या कारण था अपनी मान्यताओं को बदल देने का ?यही ना कि वे जानती थी कि वे उस परिवार  का हिस्सा हैं जिसने देश हित में अपने प्राणों का बलिदान कर दिया .कब तक रोक सकती थी वे अपने ह्रदय की पुकार   को ? क्या हुआ जो आज राजीव जी उनके साथ शरीर रूप में नहीं थे पर उनकी दिखाई गयी राह तो सोनिया जी जानती ही थी .
दूसरी ओर   विपक्ष केवल एक आक्षेप का सहारा लेकर भारतीय जनमानस में उनकी गरिमा को गिराने हेतु प्रयत्नशील था .वह आक्षेप था  कि-''सोनिया एक विदेशी महिला हैं '' . सोनिया जी के सामने चुनौतियाँ  ही चुनौतियाँ  थी .यह भी एक उल्लेखनीय तथ्य है कि जितना संघर्ष सोनिया जी ने कॉग्रेस को उठाने हेतु किया उतना संघर्ष नेहरू-गाँधी परिवार के किसी अन्य  सदस्य को नहीं करना पड़ा होगा .
सोनिया जी के सामने चुनौती थी भारतीयों के ह्रदय में यह विश्वास पुनर्स्थापित  करने की कि -''नेहरू गाँधी परिवार की यह बहू भले ही इटली से आई है पर वह अपने पति के देश हित हेतु राजनीति में प्रविष्ट हुई है ''.यह कहना अतिश्योक्ति पूर्ण न होगा कि सोनिया जी ने इस चुनौती को न केवल स्वीकार किया बल्कि अपनी मेहनत व् सदभावना से विपक्ष की हर चाल को विफल कर डाला .लोकसभा चुनाव २००४ के परिणाम सोनिया जी के पक्ष में आये .विदेशी महिला के मुद्दे को जनता ने सिरे से नकार दिया .सोनिया जी कॉग्रेस [जो सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर आया था ]कार्यदल की नेता चुनी गयी .उनके सामने प्रधानमंत्री बनने का साफ रास्ता था पर उन्होंने बड़ी विनम्रता से इसे ठुकरा दिया .कलाम साहब की हाल में आई किताब ने विपक्षियों के इस दावे को भी खोखला साबित कर दियाकी कलाम साहब ने सोनिया जी को प्रधानमंत्री बनने से रोका था .कितने व्यथित थे सोनिया जी के समर्थक और राहुल व् प्रियंका भी पर सोनिया जी अडिग रही .अच्छी सर्कार देने के वादे से पर वे पीछे नहीं हटी इसी का परिणाम था की २००९ में फिर से जनता ने केंद्र की सत्ता की चाबी उनके हाथ में पकड़ा दी .
विश्व की जानी मानी मैगजीन  ''फोर्ब्स ''ने भी सोनिया जी का लोहा माना और उन्हें  विश्व की शक्तिशाली महिलाओं में स्थान दिया -
7Sonia Gandhi

Sonia Gandhi

President

सोनिया जी पर विपक्ष द्वारा कई बार तर्कहीन आरोप लगाये जाते रहे हैं पर वे इनसे कभी नहीं घबराई हैं क्योकि वे राजनीति में रहते हुए भी राजनीति  नहीं करती  .वे एक सह्रदय महिला हैं जो सदैव जनहित में निर्णय लेती है .उनके कुशल नेतृत्व में सौ करोड़ से भी ज्यादा की जनसँख्या वाला हमारा भारत देश विकास के पथ पर आगे बढ़ता रहे  बस यही ह्रदय से कामना है .आज महंगाई ,भ्रष्टाचार के मुद्दे लेकर विपक्ष सोनिया जी को घेरे में तत्पर है पर वे अपने विपक्षियों से यही कहती नज़र आती हैं-
''शीशे के हम नहीं जो टूट जायेंगें ;
फौलाद भी पूछेगा इतना सख्त कौन है .''
वास्तव में सोनिया जी के लिए यही उद्गार ह्रदय से निकलते हैं -''भारत की इस बहू में दम है .''
शिखा कौशिक
[विचारों का चबूतरा ]

9 टिप्‍पणियां:

राजन ने कहा…

सोनिया जी को हमारी तरफ से भी जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई!
लेकिन जब जन्मदिन सोनिया जी का है तो यहाँ राजीव जी की फोटो देने का मतलब समझ नहीं आया।यही तो कमी है हमारे देश में कि लोग भावुक बहुत हो जाते हैं।अब किसीने शहादत दी(मान लेते हैं कि यह भी शहादत होती है) तो क्या उनके बात आने वालो को सिर पर बैठा लें ?या देश उनके नाम करवा दें ?या उनकी हर गलती माफ कर दें ?या उनसे सवाल भी न पूछे?
पाकिस्तान में ये काम वर्षों से एक परिवार कर रहा है और उनकी पार्टी शहादत के नाम पर ही वोट माँगती है उस देश का बेडा गर्क करने में यह पार्टी अकेली काफी है।यही काम भारत में होता रहा है।और कलाम साहब की किताब के बाद जो सुब्ह्मनियम स्वामी साहब ने कहा उस पर तो आपने ध्यान देना जरूरी नहीं समझा होगा।

राजन ने कहा…

सोनिया जी को हमारी तरफ से भी जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई!
लेकिन जब जन्मदिन सोनिया जी का है तो यहाँ राजीव जी की फोटो देने का मतलब समझ नहीं आया।यही तो कमी है हमारे देश में कि लोग भावुक बहुत हो जाते हैं।अब किसीने शहादत दी(मान लेते हैं कि यह भी शहादत होती है) तो क्या उनके बाद आने वालो को सिर पर बैठा लें ?या देश उनके नाम करवा दें ?या उनकी हर गलती माफ कर दें ?या उनसे सवाल भी न पूछे?
पाकिस्तान में ये काम वर्षों से एक परिवार कर रहा है और उनकी पार्टी शहादत के नाम पर ही वोट माँगती है उस देश का बेडा गर्क करने में यह पार्टी अकेली काफी है।यही काम भारत में होता रहा है।और कलाम साहब की किताब के बाद जो सुब्ह्मनियम स्वामी साहब ने कहा उस पर तो आपने ध्यान देना जरूरी नहीं समझा होगा।

Shikha Kaushik ने कहा…

राजन जी -हम तो राजीव जी के यहाँ से ही हैं इसलिए जब भी बहू के बारे में बात करेंगें अपने दूल्हे के बारे में बात करना लाज़मी है .मैं मानती हूँ कि हम भारतीय भावुक होते हैं और शायद इसलिए हम पूरी दुनिया से अलग होते हैं .शहादत शहादत में अंतर आप ढूंढिए .हमारे लिए तो जिसने देश के लिए अपने प्राण गवाए वाही सच्ची शहादत है .राजीव जी अपने किसी निजी कारन से आतंकवादियों के जुल्म का शिकार नहीं हुए थे .ये तारिख में दर्ज है .इसे कोई नहीं झुठला सकता है .जय हिन्द !

बेनामी ने कहा…

उत्कृष्ट लेखन !!

प्रमोद रावते ने कहा…

Wah re Congress ke chamche. Kariye, aur Chatukarita kariye, kya pata kal koi aap bhi bharat Ki Rashtrapati ban jaye. Jaise Indira gandhi ki Cook Pratibha patil bani thi.

राजन ने कहा…

शिखा जी जिक्र कीजिए लेकिन इस अंदाज में नहीं कि देखो इन्होने शहादत दी और ये उन्ही की पत्नी हैं इसलिए इन पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं वो सब निराधार हैं।भला ये क्या बात हुई?यहाँ तक कि आप उन्हें भी आड़े हाथों होती हैं जो भ्रष्टाचार और महँगाई के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।यदि सरकारके अच्छे काम का श्रेय सोनिया जी को मिलना चाहिए तो गलत काम का क्यों नहीं?वैसे मैंने राजीव जी के जिक्र पर नहीं बल्कि उनकी फोटो के लिए कहा था सोनिया जी के जन्मदिन वाली पोस्ट पर मुझे ये थोडा अजीब लगा।और मैं शहादत शहादत में अंतर नहीं कर रहा हूँ बल्कि शहादत और हादसे में अंतर कर रहा हूँ।आतंकवादियो के लिए हमारा भारतीय होना भर ही नफरत करने के लिए काफी है।और राजीव जी शहीद थे,तो उनके साथ उस हादसे में मरने वाले बाकी लोग क्या थे?

राजन ने कहा…

आपकी बातों से तो ऐसा लगता है कि इस खानदान के अलावा देश में और तो कोई बचा ही नहीं।और यदि आप शहादत के ही नारे लगाना चाहती हैं तो क्या दूसरों ने देश के लिए शहादत नहीं दी?

प्रमोद रावते ने कहा…

Ye Lijiye aur ek khulasa inki Sarvesarva SONIYA MADAM ka kala chehra
ujaagar karta hua-
"Wallmart ne American cenet me bayan diya ki Bharat me Lobbing (Ghus)
k liye 125 crore rupye diye gayehai."
Iska sidha sidha matlab ye hai kimatra 125 crore ki Ghus khake aapki
soniya madam desh ko bechne chali hai.
Lekhika mahoday aap shayad bhul gayi ki Swadeshi k puraskarswarup
humare krantikariyo ne videshi kapdo ki holi jalai thi, wahi aaj aapki
soniya madam Videshi k prem me ghus khake apne Bharat ko hi jalane
nikli hai. Aur manaiye uska birthday. Lanat hai aap par aur aapke desh
k prati gaddari par.

प्रमोद रावते ने कहा…

Rajan ji in Mohatarma ji ko aap aur hum chahe jitne tark de. Gandhi
premi ko kutark hi lagenge. Lekin yadi sunane ki kshamta hoto mai
aisi jankariya yaha pe saaza karunga ki inka shayad inka mohbhang ho
gandhi pariwar se (99% chance hai ki mohbhang na ho. Kyunki ati uchh
mahatwakanksha aadmi ko andha bana deti hai. Rashtrapati yadi banana
ho to mater hi khatm.)