माननीय राज्यपाल विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में उपस्थित छात्र-छात्राओं को ''बिना दहेज़ -विवाह ''करने की शपथ दिला रहे थे .उनके कोट की अगली जेब में रखा उनका मोबाइल तभी बज उठा .शपथ -ग्रहण पूरा हुआ तो उन्होंने मोबाइल निकालकर देखा .कॉल घर से उनकी धर्मपत्नी जी की थी .उन्होंने खुद घर का नंबर मिलाया और धीरे से पूछा -''क्या कोई जरूरी बात थी ?''धर्मपत्नी जी बोली -'' हाँ ! वे गुप्ता जी आये थे अपनी पोती का रिश्ता लेकर हमारे राकेश के बेटे सूरज के लिए .कह रहे थे पांच करोड़ खर्च करने को तैयार हैं .मैंने कहा इतने का तो उसे साल भर का पैकेज ही मिल जाता है .अब बताओ क्या करूँ ?''राज्यपाल जी ने कहा -''ऐसी बात है तो मना कर दो !'' सामने सभागार में बैठे छात्र-छात्रागण माननीय द्वारा दिलाई गयी शपथ के बाद करतल ध्वनि द्वारा उनको सम्मान प्रदान कर रहे थे .
शिखा कौशिक 'नूतन '
5 टिप्पणियां:
बहुत सही बात कही है आपने .सार्थक भावपूर्ण अभिव्यक्ति बधाई भारत पाक एकीकरण -नहीं कभी नहीं
sundar prastuti,jamana bhi kaisa aur kaise kaise log....
टिप्पणी हेतु हार्दिक आभार हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
सटीक चित्रण
ऐसे दोगले चरित्र वाले लोग ही सबसे ज्यादा घातक होते हैं बहुत अच्छी एक कडवा सच दिखाती हुई लघु कथा हेतु बधाई शिखा जी
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