रंग (विषयाधारित) 'अब तुम भी अपना रंग दिखाओगी मुझे?, नही मेम साहब रंग नही, सच में मैं, अब काम छोड़ रही हूँ, मेरा मर्द अब सरकारी अस्पताल में ठेके में चपरासी की नौकरी लगा है। अब मैं भी आपकी तरह मेम बनकर घर पर बैठेगी !,बहुत अरसे से हसरत थी। मेम साहब…" मेम साहब mrs. नेहा निशब्द;|
शान्ति पुरोहित
शान्ति पुरोहित
2 टिप्पणियां:
कभी गाडी नाव पर कभी नाव गाडी पर।
"बहुत अरसे से हसरत थी"....bhut hi sacchi baat.... धन्यवाद
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