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बुधवार, 17 दिसंबर 2014

खून से नहला दिए , खिलखिलाते फूल !


Pakistan Taliban: Peshawar school attack 

 

दरिंदगी की इन्तहां ,
कैसा है ये जूनून !
खून से नहला दिए , 
खिलखिलाते फूल  !
...............................
अब्बा के दिल के टुकड़े थे ,
अम्मी के दुलारे ,
स्कूल की वर्दी में ,
लगते बड़े प्यारे ,
उनके ख्वाब पूरे करने 
जाते थे स्कूल !
खून से नहला दिए , 
खिलखिलाते फूल  !
....................................
पढ़ रहे थे क्लास में ;
साथियों के संग ,
आतंकियों ने घेर लिया 
रह गए वे दंग,
कातिलों ने गोलियों से 
ज़िस्म दिया भून !
खून से नहला दिए , 
खिलखिलाते फूल  !
...........................................
रैपर में बंद रह गयी 
कितनी ही टॉफियां ,
बिखरे पड़े स्कूल बैग 
किताब-कॉपियां ,
दरिंदगी ने कर ही डाला 
मासूमियत का खून !
खून से नहला दिए , 
खिलखिलाते फूल  !
...................................
हर तरफ मासूम चीखें ,
दर्द भरी आहें ,
देखती दरिंदगी 
मासूम निगाहें ,
मौत का वो नंगा नाच 
कैसे जाएँ भूल !
खून से नहला दिए , 
खिलखिलाते फूल  !
......................................
कायरों सुन लो ज़रा 
खोल कर तुम कान ,
फिर खिलेंगें फूल नए 
अधरों पे ले मुस्कान ,
हर अमन पसंद की
होगी दुआ क़ुबूल !
खून से नहला दिए , 
खिलखिलाते फूल  !

शिखा कौशिक 'नूतन' 

3 टिप्‍पणियां:

sehba jafri ने कहा…

qahar toole in zalimon pr Rab ka!

sehba jafri ने कहा…

dil ko chhoo gai apki rachna

Roshi ने कहा…

marmik.........