"सारी उम्र बीत गयी रे छोर्री!! "
"नु ही साड़ी पहनते हुए . इब इस उम्र में क्या सूट पहनूगी ! यह सुथ्हन वाले सूट ब्याह के बाद कोणी पहरे जावे म्हारी बिरादरी में!!
."ब्याह के बाद छोरी की चाहे जित्ती भी उम्र हॉवे उसे साडी ही पहननी हॉवे . और सर पर पल्लू उतरने न पावे तो तू चाहवे के इब मैं सलवार सूट पहर लू ..न मेरे से कोनि हॉवे येह, जा मैं कमरे से बाहर ही ना निक्लुगी इब "
कहते कहते मिथलेश ने अपनी साड़ी को और कसकर लपेट लिया अपने बदन पर
यह आजकल की बहुए न हमने इनके एतराज किया इनका दूसरी जात के होने पर न हमने इनको टोका कि यह न पहनो वोह न पहनो जो यह शहर आकर बेशरम सी घूमती रवे बिना पल्लू के कही बांह नंगी तो कही टांग .. तुमको कह दिया कि जो मर्ज़ी करो
यह आजकल की बहुए न हमने इनके एतराज किया इनका दूसरी जात के होने पर न हमने इनको टोका कि यह न पहनो वोह न पहनो जो यह शहर आकर बेशरम सी घूमती रवे बिना पल्लू के कही बांह नंगी तो कही टांग .. तुमको कह दिया कि जो मर्ज़ी करो
पर अब हमपर भी ज़बरदस्ती कि अम्मा सीधे पल्ले की साड़ी न पहनो अम्मा सर पर पल्लू न रखा करो हमारे दोस्तों के सामने . अब यह सलवार सूट की जिद !! मुझे अब नही रहना इनके घर एक तो पहले ही महरी और मिसराइन का काम सौप रखा हैं उस पर अब नयी जिद !१ इस से भली तो अपने गांव में थी .... बुदबुदाती हुयी मिथलेश घंटो तक बिस्तर पर पढ़ी रही उदास सी .
जब पानी पीने रसोई की तरफ बढ़ी तो बहु की सहेलियों की हंसी सुनाई दी " यार क्या आइटम हैं तेरी सास कसम से ..""
"..................नीलिमा शर्मा ...........
2 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
फूलों से होलो तुम जीवन में सुंगध भर लो
आज की चर्चा : ज़िन्दगी एक संघर्ष -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल चर्चा : अंक-005
sarthak v sateek post .aabhar
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