दुखती रगो को मानो छेड़ दिया
छलनी छलनी व्यथित हिय को
विषमय तीरों से भेद दिया
मेरे लाल की गर्दने ले गए
पर नहीं मैं अश्रु बहाऊंगी
भरो ताल कातिल के खून से
उसी में कुम्भ नहाऊँगी
जान के बदले जान ,
जब तक ये व्योपार ना होगा
ना उत्सव ना मंगल गाना
ना कोई त्यौहार ही होगा
जब तक दामिनी के हत्यारों की
गर्दनें नहीं नपवाऊँगी
भला कुम्भ कैसे नहाऊँगी ?
बाहर भी हत्यारे
देश में अन्दर भी हत्यारे
जीना हुआ दुश्वार मौत की आगोश में
सोई है सरकार कब आएगी होश में
लेके इन्कलाब की ध्वजा
जब तक उनकी छाती पर नहीं फ़हराऊँगी
भला कुम्भ कैसे नहाऊँगी ?
जड़ चेतन को नहीं बख्शा
गंगा को भी अपवित्र किया
फेंकी गन्दगी पावन जल में
जहर भरा प्रदूषित किया
जब चाही मोड़ दी धारा
जहां चाहा दोहन किया
जब चाहा शोषण किया
जब तक द्रढ़ संकल्पों की ऱज से भाल नहीं सजाऊँगी
भला कुम्भ कैसे नहाऊँगी !!
कुम्भ कैसे नहाऊँगी !!
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10 टिप्पणियां:
सार्थक और उपयोगी प्रस्तुति!
.सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति करें अभिनन्दन आगे बढ़कर जब वह समक्ष उपस्थित हो . आप भी जाने कई ब्लोगर्स भी फंस सकते हैं मानहानि में .......
अच्छी भावना है.....परन्तु कुम्भ सामाजिक सांस्कृतिक जन-पर्व है ...कोइ विदेशी न्यू-ईयर नहीं ...
डॉ श्याम गुप्ता जी ये तो हम भी जानते हैं की ये अपना सामाजिक सांस्कृतिक पर्व है ,जैसे दिवाली भी है जिस देश में वीर जवानो के शीश काटे गए हों ,नारियों की बर्बरता से अस्मतें लुट रही हो क्या वहां दिवाली या कुम्भ सच्चे मन से मना सकते हैं जिसके लाल के शीश कटे हों वो क्या कुम्भ नहाने जायेगी ,शायद इस रचना के मर्म तक आप नहीं पंहुच सके बड़े दुःख की बात है वरना ये न कहते
राजेश मैडम जी ये रचना वास्तव मे हर कोई नही समझ सकता । सभी लोग जब इतनी गहराई से समझ ही पाते तो देश मे ईतनी बैमानी ,लुटमार ,कत्ले आम बैगेरा कुछ भी नही होता ।किसी के खोने गम वही समझ सकता है ,जिसके साथ कोई दुर्घटना होती है ।आप की रचना उस मा को सुना दे तो उनके आँसू निकल आएँगे ।
sahi bat ko sahi samay pr uthaya ap ne ....behatareen rachana ke liye hardik badhai .
ये आक्रोश बरकरार रहे .....!!
आप सब का हार्दिक आभार
आपको गणतंत्र दिवस पर बधाइयाँ और शुभकामनायें.
Nice .
इसलाम कहता है कि जो लड़का गर्भाधान में प्राकृतिक रूप से सक्षम है, वह बालिग़ है।
दिल्ली के जघन्य रेप कांड के सबसे बड़े शैतान को कल अदालत ने नाबालिग़ क़रार दे दिया है। मनुष्य की बुद्धि अपूर्ण है और ईश्वर की पूर्ण। ईश्वर ने मनुष्य बनाया है तो उसके लिए विधि-विधान भी बनाय है। मनुष्य ने उसके विधि-विधान को नकार दिया और अपने लिए अपनी बुद्धि से कुछ जुगाड़ किया। इसीलिए उसने प्राकृतिक रूप से गर्भाधान में सक्षम बालिग़ व्यक्ति को भी बालक ही बताया। यह ग़लत है। इस बात को ग़लत केवल इसलाम कहता है और कुछ लोगों को इसलाम के नाम से ही चिढ़ है। इसलाम कहता है कि जो लड़का गर्भाधान में प्राकृतिक रूप से सक्षम है, वह बालिग़ है।
आज दुनिया भी यही मानना चाहती है। इसलाम जन मन की स्वाभाविक इच्छा है। इसे दबाया जाएगा तो दुनिया में कभी न्याय नहीं हो पाएगा।
इसलाम का नाम लेकर किसी बादशाह ने आपको इतिहास में कभी कुचल डाला है तो उस बादशाह का विरोध कीजिए। न कि नफ़रत और प्रतिशोध में अंधे होकर आजीवन उसके धर्म का भी विरोध करते रहें ,चाहे वह आपकी समस्याओं का वास्तविक हल ही क्यों न हो !
कृप्या विचार कीजिए, इसी में आपके लोक परलोक की भलाई है।
यह कमेंट निम्न पोस्ट पर दिया गया है, जिसका लिंक व शीर्षक यह है- http://commentsgarden.blogspot.in/2013/01/blog-post_28.html
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