''नेता जी अभी और ठुकेंगे ''-एक लघु कथा
भरे बाज़ार नेता जी की ठुकाई की जा रही थी .महिलाएं चप्पलों,सैंडिलों से उनका बदचलनी का भूत उतार रही थी .अभी अभी उन्होंने ''स्त्री सशक्तिकरण'' के कार्यक्रम में वहां उपस्थित अपनी ही पार्टी की महिला मोर्चा की कार्यकत्री के साथ छेड़छाड़ कर डाली थी .नेता जी के माथे पर बलात्कार जैसे कलंक का टीका भी लग चुका है .दोष सिद्ध न हो पाने के कारण संक्रामक बीमारी के कीटाणु की भांति आराम से छुट्टा घूम हैं और पार्टी के महिला सम्मेलनों में काफी उत्साह से भाग ले रहे हैं .महिलाओं के द्वारा जोरदार ठुकाई के बाद नेता जी के चेले उन्हें किसी तरह बचाकर उनके बंगले पर ले गए .नेता जी बंगले पर पहुँचते ही बेहोश हो गए .डॉक्टर साहब को बुलाया गया .डॉक्टर साहब ने आते ही उन्हें एक इंजेक्शन लगाया और बोले -''अस्सी साल के हो गए नेता जी .इतनी ठुकाई के बाद भी जिंदा हैं ..कमाल है !खैर थोड़ी देर में होश आ जायेगा .'' डॉक्टर साहब के जाने के दस मिनट बाद नेता जी को होश आया तो उनका वफादार दारू सिंह उनका इशारा देखकर अपना कान उनके मुंह के पास ले गया .नेता जी ने धीरे से पूछा -''दारू वो जो गुलाबी साड़ी में लाल सैंडिल से मुझे पीट रही थी वो कौन थी ....पता लगाओ ....मुझे जँच गयी है वो कसम से !!!
शिखा कौशिक ''नूतन ''
3 टिप्पणियां:
kya vidambana hotee hai jab rakshak hee bhakshak ban jaatey hain.
:)
ho sakta hai kuchal diye jayen.
हाहाहा इतनी ठुकाई के बाद भी होश ठिकाने नहीं आये कुत्ते की दुम है मजेदार लघुकथा हेतु बधाई शिखा जी
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