Daily Majlis
Saturday, January 19, 2013
' कुल का क्राउन '- डेरा सच्चा सौदा के इतिहास में एक और अभियान
बेटो से वंश चलने की बात कहने वाले समाज में नयी सोच जागृत करने के उद्देश्य से डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सा ने बेटियों से वंश चलाने की एक नयी मुहीम का आगाज किया है और इस रीत को ''कुल का क्राउन'' का नाम दिया है ।
जिन परिवारों में केवल एक ही बेटी है ,वो ऐसे परिवार में अपनी बेटी की शादी करें जिनके यहाँ दो लड़के हो ।
लड़की अपनी ससुराल जाने की बजाये लड़के को अपने घर ले के आये ताकि एक बेटी अपने पिता के वंश को आगे बढ़ा सके । वहीँ ससुराल में आने के बाद लड़का भी अपने सास ससुर की अपने माता पिता के समान सेवा करे तो बेमिसाल होगा ।
पूज्य गुरु जी ने फ़रमाया जो लोग सोचते हैं कि केवल बेटे से ही आगे वंश चलता है तो उनको पता चलेगा कि बेटी से भी वंश चल सकता है ।
पूज्य गुरु जी के एक आह्वान पर सेंकडो युवा आगे आये हैं ।
7 टिप्पणियां:
सुन्दर प्रयास कलम आज भी उन्हीं की जय बोलेगी ...... आप भी जाने कई ब्लोगर्स भी फंस सकते हैं मानहानि में .......
सच्चे दिल से स्वीकारें की बेटी से भी वंश चलता है तो सही है ,खाली पब्लिसिटी स्टंट न हो तो ठीक है
सही सोच है ---पुरा काल में भी स्त्री-सत्तात्मक समाज में एसा होता था ..आगे प्रगति होने पर..किन्हीं कारणों वश पुरुष सत्तात्मक समाज का गठन किया गया ...
aaj ke samaj me ise kaam ek sacha sant kul malik hi kar sakta h hum malik ka lakh lakh sukrana karte h jisne ye kul ka craun chalaya
एतिहासिक परम्परा के साथ छेड़ छाड़ करना किसी भी सूरत में ठीक नहीं है। यह एक पब्लिसिटी स्टंट है और कुछ नहीं। यह देखने और कहने में बहूत अच्छा लगता है लेकिन वास्तव में इसके भावी परिणाम अच्छे नहीं होंगे। जहाँ तक इज्जत का सवाल है वो महिला हो या पुरुष उसे अपने आचरण से ही इज्जत मिलती है। और जहाँ तक भ्रूण हत्या रोकने की बात है इसको रोकने के और भी कारगर तरीके हो सकते हैं। अगर यह परम्परा चलानी ही है तो इकलोती लड़कियों को उन लड़कों से शादी कर लेनी चाहिए जो अनाथ हैं, और जिनका आगे पीछे नहीं है। उन्हें केवल उनसे शादी ही नहीं करनी चाहिए बल्कि उनको काम धंधा भी खुलवा कर देना चाहिए, ताकि वो आपनी जिन्दगी मैं सेटल हो सकें। और जहाँ तक वंश की बात है वंश भी पति का ही चलाना चाहिए। ऐसे पुरषों को सम्मान दे कर सम्मान लेने में कोई बुरे नहीं। जिस प्रकार वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं और सरोवर भी अपना पानी स्वयं नहीं पीता है। उसी तरह एक महिला को जिसे इश्वर नें संतान को जनम देने का वरदान दिया है को अपने इस वरदान का उपयोग अपने पति का वंश चलने के लिए ही करना चाहिए न की स्वार्थवश अपनी महानता साबित करने की लिए। ऐसा हमें प्रकृति भी सिखाती है कि अपनी शक्ति और सामर्थ्य का उपयोग खुद के लिए न करके दूसरों के लिए करो। अगर कोई व्यक्ति स्वार्थी हो जाये या यश और कीर्ति के चक्कर में पड़ जाये तो वो मानव उचतम स्थान पा कर भी निम्न दर्जे का ही होता है। समाज में महिला का दर्जा स्वार्थी का नहीं होना चाहिए। अगर महिला चाहे तो आपने अच्छे आचरण से आपने ससुराल पक्ष को खुश रखते हुए आपने माँ बाप की सेवा कर सकती है और इसमें उसका पति भी सहर्ष उसकी मदद करेगा। केवल अपने फायदे के लिए अपने हिसाब से किसी को घर जमाई बनाना और परम्परा को तोडना अच्छी बात नहीं है।
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