हास्य व्यंग्य -मोहन भागवत धन्य-धन्य
धन्य हैं मोहन भागवत जी .हिन्दू धर्म के सोलह-संस्कारों में से एक सर्वाधिक पवित्र संस्कार विवाह को सौदा जो बतलाया है उन्होंने .लो जी ये भी कोई बात है कि युगों युगों से इस पवित्र संस्कार को ''विवाह'' ही कहा जाये और यदि पर्यायवाची प्रयोग हो तो ''शादी '' . चिल्लाते... चिल्लाते रहो ''विवाह ...विवाह....शादी... शादी ''.अब बस सही शब्द बोलना सीख लो .विवाह नहीं इसे ''सौदा कहते हैं जी .सबसे ज्यादा परेशान हैं बैंड-बाजे वाले ..बार बार प्रक्टिस कर रहे हैं इस गाने की-आज मेरे यार का सौदा है ...यार का सौदा है मेरे दिलदार का सौदा है .'' एक गाना हो तो तैयारी कर भी लें पर साहब जी यहाँ तो लम्बी लाइन है ऐसे गानों की .सारा मामला ही गड़बड़ हो गया .एक बुजुर्ग गाते जा रहे हैं सड़क पर -कोई मेरा भी सौदा करा दे तो फिर मेरी चाल देख ले ...जरा जम के भैय्या '' . उधर देखिये वैडिंग हॉल में धूम मची हुई है डी.जे.पर -''मुबारक हो तुमको ये सौदा सुहाना ...'' जवान खून की बात मत पूछिए .बाइक पर गुनगुनाते जा रहे हैं साहबजादे -''मुझसे सौदा करोगी ****मुझसे सौदा करोगी .अब फिल्मकारों के लिए भी चुनौती है फिल्म के शीर्षक रखना .राज श्री वाले सोच रहे होंगे -''विवाह या सौदा '' ''एक सौदा ऐसा भी '' रख लें तो फिल्म सामाजिक क्रांति ला देगी .
एक ओर क्रांति का विषय है पंडित वर्ग के लिए . अब जिजमान आकर चरण -स्पर्श करते हुए निवेदन करते हैं -''पंडित जी मेरे बेटे का ''सौदा -मुहूर्त '' तो निकाल दीजिये '' अथवा ''पंडित जी मेरी बिटिया की जन्म -पत्रिका बाँच कर बताइए तो सही इसका ''सौदा '' कब व् कैसे लड़के से होगा ?'' अब पंडित जी के स्वर भी पलटे हुए हैं ,वे गंभीर वाणी में कहते हैं -''जिजमान आपकी पुत्री की कुंडली में मांगलिक दोष है इसका सौदा किसी मांगलिक लड़के के साथ ही कीजियेगा .''
छपाई वाले भी क्रांति के इस युग से प्रभावित हुए हैं .अब विवाह के निमंत्रण कार्ड पर छप रहा है -''शुभ सौदा निमंत्रण ''.कार्ड के ऊपर दाई ओर छपता है -''शुभ सौदा '' और अन्दर कार्ड का प्रारूप इस प्रकार है -'आयुष्मति '' व् ''चिरंजीव ''के सौदा संस्कार की सुमधुर बेला पर आपको सादर आमंत्रित करते हैं ''
अब हर सरकारी व् गैरसरकारी फार्म भरते समय इस कॉलम को भी ध्यान से भरे -
''विवाहित /अविवाहित '' के स्थान पर ''सौदा हुआ /सौदा नहीं ''
एक साथ इतने क्रन्तिकारी परिवर्तन समाज में लाकर मोहन भगवत जी ने उत्सव का माहौल भारतीय समाज में पैदा कर दिया है .बस भगवत जी इस प्रश्न का जवाब आप हमें ई.मेल पर जरूर भेज दें -क्या आपने सौदा किया है ?यदि नहीं तो क्यों ?
जय हिन्द ! जय भारत !
धन्य हैं मोहन भागवत जी .हिन्दू धर्म के सोलह-संस्कारों में से एक सर्वाधिक पवित्र संस्कार विवाह को सौदा जो बतलाया है उन्होंने .लो जी ये भी कोई बात है कि युगों युगों से इस पवित्र संस्कार को ''विवाह'' ही कहा जाये और यदि पर्यायवाची प्रयोग हो तो ''शादी '' . चिल्लाते... चिल्लाते रहो ''विवाह ...विवाह....शादी... शादी ''.अब बस सही शब्द बोलना सीख लो .विवाह नहीं इसे ''सौदा कहते हैं जी .सबसे ज्यादा परेशान हैं बैंड-बाजे वाले ..बार बार प्रक्टिस कर रहे हैं इस गाने की-आज मेरे यार का सौदा है ...यार का सौदा है मेरे दिलदार का सौदा है .'' एक गाना हो तो तैयारी कर भी लें पर साहब जी यहाँ तो लम्बी लाइन है ऐसे गानों की .सारा मामला ही गड़बड़ हो गया .एक बुजुर्ग गाते जा रहे हैं सड़क पर -कोई मेरा भी सौदा करा दे तो फिर मेरी चाल देख ले ...जरा जम के भैय्या '' . उधर देखिये वैडिंग हॉल में धूम मची हुई है डी.जे.पर -''मुबारक हो तुमको ये सौदा सुहाना ...'' जवान खून की बात मत पूछिए .बाइक पर गुनगुनाते जा रहे हैं साहबजादे -''मुझसे सौदा करोगी ****मुझसे सौदा करोगी .अब फिल्मकारों के लिए भी चुनौती है फिल्म के शीर्षक रखना .राज श्री वाले सोच रहे होंगे -''विवाह या सौदा '' ''एक सौदा ऐसा भी '' रख लें तो फिल्म सामाजिक क्रांति ला देगी .
एक ओर क्रांति का विषय है पंडित वर्ग के लिए . अब जिजमान आकर चरण -स्पर्श करते हुए निवेदन करते हैं -''पंडित जी मेरे बेटे का ''सौदा -मुहूर्त '' तो निकाल दीजिये '' अथवा ''पंडित जी मेरी बिटिया की जन्म -पत्रिका बाँच कर बताइए तो सही इसका ''सौदा '' कब व् कैसे लड़के से होगा ?'' अब पंडित जी के स्वर भी पलटे हुए हैं ,वे गंभीर वाणी में कहते हैं -''जिजमान आपकी पुत्री की कुंडली में मांगलिक दोष है इसका सौदा किसी मांगलिक लड़के के साथ ही कीजियेगा .''
छपाई वाले भी क्रांति के इस युग से प्रभावित हुए हैं .अब विवाह के निमंत्रण कार्ड पर छप रहा है -''शुभ सौदा निमंत्रण ''.कार्ड के ऊपर दाई ओर छपता है -''शुभ सौदा '' और अन्दर कार्ड का प्रारूप इस प्रकार है -'आयुष्मति '' व् ''चिरंजीव ''के सौदा संस्कार की सुमधुर बेला पर आपको सादर आमंत्रित करते हैं ''
अब हर सरकारी व् गैरसरकारी फार्म भरते समय इस कॉलम को भी ध्यान से भरे -
''विवाहित /अविवाहित '' के स्थान पर ''सौदा हुआ /सौदा नहीं ''
एक साथ इतने क्रन्तिकारी परिवर्तन समाज में लाकर मोहन भगवत जी ने उत्सव का माहौल भारतीय समाज में पैदा कर दिया है .बस भगवत जी इस प्रश्न का जवाब आप हमें ई.मेल पर जरूर भेज दें -क्या आपने सौदा किया है ?यदि नहीं तो क्यों ?
जय हिन्द ! जय भारत !
1 टिप्पणी:
अच्छा कटाक्ष !
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