मेरी जागीर हैं मेरे बच्चे
जिनको मैंने इन हाथो से पाला हैं
तन की वसीयत खुदा के नाम की
धन की वसीयत मेरे हाथ मैं नही
मन के सारे कोने झाड़ -पौंछ कर
जिनको मैंने इन हाथो से पाला हैं
तन की वसीयत खुदा के नाम की
धन की वसीयत मेरे हाथ मैं नही
मन के सारे कोने झाड़ -पौंछ कर
मैंने एक पोटली भर ली
मेरे बच्चो इस दीवाली
मैंने भी अपनी वसीयत लिख ली
मेरी हर फटकार को तुम
जींवन का सबक समझोगे
मेरी हर ना ने तुमको
जीवन मूल्य बताये होंगे
मेरे हर दुलार ने तुमको
प्यार सीखाया होगा
मेरी सख्ती ने तुमको
कमजोर होने से बचाया होगा
जिन्दगी का क्या भरोसा
आज हैं कल हो न हो
या बरसो तक हो
छोटे छोटे पल को जीना
खुशियों मैं भी खुशिया जीना
इस वसीयत का मूल मंत्र हो ............................. नीलिमा
मेरे बच्चो इस दीवाली
मैंने भी अपनी वसीयत लिख ली
मेरी हर फटकार को तुम
जींवन का सबक समझोगे
मेरी हर ना ने तुमको
जीवन मूल्य बताये होंगे
मेरे हर दुलार ने तुमको
प्यार सीखाया होगा
मेरी सख्ती ने तुमको
कमजोर होने से बचाया होगा
जिन्दगी का क्या भरोसा
आज हैं कल हो न हो
या बरसो तक हो
छोटे छोटे पल को जीना
खुशियों मैं भी खुशिया जीना
इस वसीयत का मूल मंत्र हो ............................. नीलिमा
8 टिप्पणियां:
चर्चा मंच ले रास्ते इधर आना हुआ और एक अच्छी रचना पढ़ने को मिली ...धन्यवाद
दीपोत्सव की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं
इस मंगल पर्व पर
बहुत बहुत शुभकामनाये ।
सुन्दर प्रस्तुति ।।
सुन्दर प्रस्तुति...
Shukriya Pardeep sir jee
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें...shastri jee , Ravikar jee
Shalini jee shukriyaa
shukriya Sriram jee , shikha jee
माँ बाप की जागीर बच्चे और बच्चों की जागीर माँ बाप का प्यार उनकी दी हुई शिक्षा सुन्दर संदेशपरक प्रस्तुति बधाई नीलिमा जी
एक टिप्पणी भेजें