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बुधवार, 24 अक्टूबर 2012

विजयदशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनायें !



विजयदशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनायें !






धर्म पताका फहराने , पापी को सबक सिखाने ,
चली राम की सेना रावण का दंभ मिटाने !
हर हर हर हर महादेव !

रावण के अनाचारों से डरकर  वसुधा है डोली ,
दुष्ट ने ऋषियों के प्राणों से खेली खून की होली ,
सत्यमेव जयते की ज्योति त्रिलोकों में जगाने !
चली राम की सेना ........................
हर हर हर हर महादेव !

तीन लोक में रावण के आतंक का बजता डंका ,
कैसे मिटेगा भय रावण का देवों को आशंका ?
मायावी की माया से सबको मुक्ति दिलवाने !
चली राम की सेना ........................
हर हर हर हर महादेव !

जिस रावण ने छल से हर ली पंचवटी से सीता ,
शीश कटे उस रावण का , करें राम ये कर्म पुनीता ,
पतिव्रता नारी को खोया सम्मान दिलाने !
चली राम की सेना ......
हर हर हर हर महादेव !

एकोअहम के दर्प में जिसने त्राहि त्राहि मचाई ,
उस रावण का बनकर काल आज चले रघुराई ,
निशिचरहीन करूंगा धरती अपना वचन निभाने !   
चली राम की सेना .....................
हर हर हर हर महादेव !

                                                   शिखा कौशिक 'नूतन' 

5 टिप्‍पणियां:

Rajesh Kumari ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति बहुत सुन्दर गायन वाह वाह बहुत अच्छा विजय दशमी की बधाई और शुभकामनाएं

Manish Khedawat ने कहा…

sunder rachna :)

सूर्यकान्त गुप्ता ने कहा…

विजयादशमी की; अब यहाँ हिंदी शब्द लिखना ठीक मालूम नहीं पड़ रहा है; अतएव अंग्रेजी शब्द को ही हिंदी में लिखते हुए; "बिलेटेड" बधाई ..... सुन्दर रचना

virendra sharma ने कहा…


धर्म पताका फहराने , पापी को सबक सिखाने ,
चली राम की सेना रावण का दंभ मिटाने !
हर हर हर हर महादेव !

रावण के अनाचारों से डरकर वसुधा है डोली ,
दुष्ट ने ऋषियों के प्राणों से खेली खून की होली ,
सत्यमेव जयते की ज्योति त्रिलोकों में जगाने !
चली राम की सेना ........................
हर हर हर हर महादेव !

तीन लोक में रावण के आतंक का बजता डंका ,
कैसे मिटेगा भय रावण का देवों को आशंका ?
मायावी की माया से सबको मुक्ति दिलवाने !
चली राम की सेना ........................
हर हर हर हर महादेव !

जिस रावण ने छल से हर ली पंचवटी से सीता ,
शीश कटे उस रावण का , करें राम ये कर्म पुनीता ,
पतिव्रता नारी को खोया सम्मान दिलाने !
चली राम की सेना ......
हर हर हर हर महादेव !

एकोअहम के दर्प में जिसने त्राहि त्राहि मचाई ,
उस रावण का बनकर काल आज चले रघुराई ,
निशिचरहीन करूंगा धरती अपना वचन निभाने !
चली राम की सेना .....................
हर हर हर हर महादेव !

शिखा कौशिक 'नूतन'

सस्वर पाठ इस रचना का बालिका स्वर में मन को मुग्ध कर गया .गति और आवेग दोनों लिए है यह रचना कथ्य के अनुरूप .बधाई .कंठ कोकिला बालिका को भी कवियित्री को भी .

Shikha Kaushik ने कहा…

राजेश जी ,मनीष जी ,सूर्य जी व् वीरुभई जी -आप सभी का मुक्त कंठ से प्रशंसा हेतु हार्दिक आभार .यह गीत मेरे ही स्वर में है .