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रविवार, 30 सितंबर 2012

सलाम मदर इण्डिया को -लघु कथा


सलाम मदर  इण्डिया को -लघु कथा 

   
'विलास ..  .. विलास ' बाइक पर विलास के  घर  के  बाहर  कुंदन  और  किशोर  दबी  जुबान  में आवाज  लगा  रहे  थे  .फरवरी के महीने  की  सुबह  के चार  बज रहे थे . विलास हल्के  क़दमों  से  हाथ में एक थैला लेकर चुपके से घर से निकल लिया .बाइक पर  किशोर के पीछे  विलास के बैठते  ही  कुंदन ने  बाइक  स्टार्ट  कर  दी .हवा  में उड़ते  हुए  तीनों  एक घंटे  में शहर  के चौराहे  पर पहुँच  गए  .विलास ने  घडी  में टाइम  देखा  .पांच  बजने  वाले  थे .कुंदन बोला  -''तैयार  रहना  विलास आज उन दोनों की सारी  हेकड़ी  निकाल देंगें .'' तभी  सामने  से स्कूटी  पर आती  दो  छात्राएं  दिखाई  दी . उनके थोडा आगे  निकलते ही कुंदन ने बाइक उनकी  स्कूटी  के पीछे दौड़ा दी .सड़क  पार होते   ही स्कूटी ज्यों   ही एक   गली  में  मुड़ी  कुंदन ने सुनसान  इलाका  देख  अपनी  बाइक की   रफ़्तार  बढ़ा दी और स्कूटी के आगे जाकर रोक  दी .तेज ब्रेक लगाने  के कारण स्कूटी का संतुलन बिगड़ा और संभलते संभलते भी भी दोनों छात्राएं सड़क पर गिर पड़ी .विलास तेजी से बाइक से उतरा और थैले में से बोतल निकालकर उनकी ओर बढ़ा .बोतल का ढक्कन  खोलकर उसमे भरा  द्रव सड़क पर गिरी छात्राओं के चेहरों पर  उड़ेल  दिया .छात्राओं ने चीखकर अपना  मुंह ढक लिया  पर ये क्या वहां चारो  ओर गुलाब जल की खुशबू फ़ैल गयी .विलास ने हाथ में पकड़ी बोतल के मुंह को नाक के पास  लाकर  सूंघा  ..उसमे से गुलाब जल की ही खुशबू आ रही  थी  .उसने बोतल को ध्यान  से देखा .ये तेजाब वाली बोतल नहीं थी .
तभी  किशोर जोर  से बोला  -''....विलास जल्दी भाग .......पुलिस ...पुलिस पुलिस की जीप आ रही है  .विलास के हाथ कांप  गए  बोतल हाथ से छूटकर वही गिर गयी ..विलास बाइक की ओर दौड़ा तभी गली में एक कार आकर  रुकी .विलास पहचान गया ये उनकी ही कार थी .कार का गेट  तेजी से खुला  और एक महिला उसमे  से बाहर   निकली .विलास उन्हें देखते  ही बोला  .-''..मम्मी  आप   ...यहाँ ....!!!'' पीछे से आती पुलिस की जीप भी वहां आकर रुकी .महिला ने विलास के पास आकर  एक जोरदार  तमाचा  उसके  गाल पर जड़ दिया और क्रोध  में कांपते हुए  बोली -''....मैं  तेरी  मम्मी नहीं .!!''दौड़कर आते पुलिस के सिपाहियों को देखकर तीनों  भागने  का प्रयास  करने  लगे  पर विफल  रहे  .विलास की मम्मी ने फिर उन छात्राओं के पास पहुंचकर  उन्हें  सहारा  देकर  खड़ा  किया ओर उन्हें अपनी कार से डॉक्टर  की क्लिनिक  तक  पहुँचाया .................फिर एक लम्बी सांस  लेकर  सोचा -'''अगर  मैं विलास की गतिविधियों पर ध्यान न देती और तेजाब की बोतल की जगह थैले में गुलाब जल की बोतल न रखती तो आज उसने तो इन  कलियों को झुलसा ही डाला था  .
                                       shikha kaushik 

3 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…


यदि ऐसा हो जाये तो मज़ा ही न आ जाये पर ऐसा होता ही कहाँ है .आपकी कहानी ऐसे लोगों को सुधार दे तो शायद ये आज के समाज में सबसे सार्थक पहल होगी सुन्दर प्रस्तुति बधाई .उत्तर प्रदेश सरकार राजनीति छोड़ जमीनी हकीकत से जुड़े

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

उस माँ को नमन ,और उस माँ की रचयित्री - राजेशकुमारी जी का वंदन !

Rajesh Kumari ने कहा…

प्रतिभा जी बहुत बहुत धन्यवाद परन्तु आपको यह जान कर ख़ुशी होगी की उस माता की कहानी की रचयित्री प्रिय शिखा कौशिक जी हैं प्रिय शिखा इस कहानी के माध्यम से जो सीख आपने दी है आपकी लेखनी को नमन अभिभूत कर दिया इस कहानी ने काश हर माँ अपना कर्तव्य फर्ज समझे अपने बच्चों की हरकतों पर नजर रखे