बीवी और शौहर
रात भर जागी बीवी दर्द से जो तडपा शौहर ;
कभी बीवी के लिए क्यों नहीं जगता शौहर ?
करे जो काम बीवी फ़र्ज़ हैं उसको कहते ;
अपने हर एक काम को अहसान क्यों कहता शौहर ?
रहो हद में ये हुक्म देता बीवी को ;
मगर खुद पर कोई बंदिश नहीं रखता शौहर .
नहीं है हक़ बीवी को उठा के देख ले आँखें ;
जरा सी बात पर क्यों हाथ उठाता शौहर ?
शौहर के लिए दुनिया छोड़ देती बीवी ;
दुनिया के कहने पर उसी को छोड़ता शौहर .
शिखा कौशिक
1 टिप्पणी:
बहुत सटीक और सार्थक बात कही है शिखा जी हमारे समाज में ,हमारे देश में ये समस्या और देशों की अपेक्षा अधिक है की जन्म से ही लड़कों के अन्दर ये घुट्टी पिला दी जाती है की तू मर्द है तेरा ओहदा लड़की से बड़ा होता है और यही बीज बड़ा होते होते एक घमंडी एक इगो वाला तरु बन जाता है
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