दूर जाना लाज़िमी था,
कुछ बहाना लाज़िमी था।
अश्क़ कर देते बयाँ ग़म,
मुस्कुराना लाज़िमी था।
बेदिलों के पहलू में दिल
टूट जाना लाज़िमी था
आ गए थे दूर घर से
लौट जाना लाज़िमी था।
पिंजरें में क़ैद बुलबुलों का
फड़फड़ाना लाज़िमी था।
बेमग़ज़ कुछ हाथ थे,
संग खाना लाज़िमी था।
बहरी सियासत को जगाने
इक धमाका लाज़िमी था।
~~~~~~~~~
शालिनी
कुछ बहाना लाज़िमी था।
अश्क़ कर देते बयाँ ग़म,
मुस्कुराना लाज़िमी था।
बेदिलों के पहलू में दिल
टूट जाना लाज़िमी था
आ गए थे दूर घर से
लौट जाना लाज़िमी था।
पिंजरें में क़ैद बुलबुलों का
फड़फड़ाना लाज़िमी था।
बेमग़ज़ कुछ हाथ थे,
संग खाना लाज़िमी था।
बहरी सियासत को जगाने
इक धमाका लाज़िमी था।
~~~~~~~~~
शालिनी
3 टिप्पणियां:
Vaah vaah...
Bahut khoob.
bahut khoob likha hai aapne .badhai .
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