खट्टी -मीठी यादें !
टूटे फूटे वादे ,कभी ताने और फरियादें ,
इनसे ही बन जाती हैं खट्टी मीठी यादें .
फूलों के जैसे हँसना ,आँखों से मोती झरना ,
मरते मरते जीना ,कभी जीते जीते मरना ,
ऐसे जुड़ते जाते किस्से ये सीधे सादे .
इनसे ही बन जाती हैं खट्टी मीठी यादें .
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गले लगाकर मिलना ,लड़ना और झगड़ना ,
ममता की बरसातें और कभी क्रोध में तपना ,
फिर भी जुड़ते जाते टूटे रिश्तों के धागे .
इनसे ही बन जाती हैं खट्टी मीठी यादें .
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कभी जेठ की गर्मी ,सावन की कभी फुहारें ,
कभी अमावस की रजनी ,कभी पूनम के उजियारे ,
कुदरत रोज बजाती नए सुरों में बाजें .
इनसे ही बन जाती हैं खट्टी मीठी यादें .
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SHIKHA KAUSHIK 'NUTAN'
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गले लगाकर मिलना ,लड़ना और झगड़ना ,
ममता की बरसातें और कभी क्रोध में तपना ,
फिर भी जुड़ते जाते टूटे रिश्तों के धागे .
इनसे ही बन जाती हैं खट्टी मीठी यादें .
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कभी जेठ की गर्मी ,सावन की कभी फुहारें ,
कभी अमावस की रजनी ,कभी पूनम के उजियारे ,
कुदरत रोज बजाती नए सुरों में बाजें .
इनसे ही बन जाती हैं खट्टी मीठी यादें .
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SHIKHA KAUSHIK 'NUTAN'
2 टिप्पणियां:
बिलकुल सच
वाह यादों के उद्गमों का क्या समा बांधा है।
बहुत सुंदर।
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