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शुक्रवार, 27 मार्च 2015

नन्हें से राम लल्ला खेलें दशरथ के अंगना !

! रामनवमी पर्व की हार्दिक शुभकामनायें !
किलकारी मारें बजाकर खन खन कंगना ,
नन्हें से राम लल्ला खेलें  दशरथ के अंगना !


मैय्या कौशल्या उर आनंद लहरे उमड़े ,
पैय्या चले तो पकड़ने को वे दौड़े ,
लेती बलैय्या आँचल में हैं छिपती ललना !
नन्हें से राम लल्ला खेलें  दशरथ के अंगना !

चारों भैय्या मिलकर माखन चुराते हैं ,
बड़े हैं भाई राम सबको खिलाते हैं ,
माटी के बर्तन फोड़ें आये पकड़ में ना !
 नन्हें से राम लल्ला खेलें  दशरथ के अंगना !

राम के मुख की शोभा बरनि न जाये है ,
सुन्दरता देख उन्हें खुद पर लजाये है ,
शोभा की खान राम किसी से क्या तुलना !
 नन्हें से राम लल्ला खेलें  दशरथ के अंगना !

            शिखा कौशिक 'नूतन '

5 टिप्‍पणियां:

shalini rastogi ने कहा…

वाह ... सुन्दर बाल लीला का सुन्दर चित्रण !!!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

श्री राम नवमी की हार्दिक मंगलकामनाओं के आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (29-03-2015) को "प्रभू पंख दे देना सुन्दर" {चर्चा - 1932} पर भी होगी!
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

कविता रावत ने कहा…

बहुत सुन्दर सामयिक प्रस्तुति
आपको भी रामनवमी की हार्दिक मंगलकामनाएं!

Harshita Joshi ने कहा…

कौशल्या के राम सबसे सुन्दर वर्णन

Unknown ने कहा…

Audio link ??