Farmers commit suicide after rains devastate crops in UP .
इस बारआसमान से
जल नहीं बरसा
बरसी है आग !
जिसने जला डाले
किसानों के
सारे ख्वाब !
कोई सदमे से मर गया ,
किसी ने खाया ज़हर ,
कोई फांसी से लटक गया
और कोई गया जल ,
बरसात थी या थी कहर !
ऊपर वाले कैसा
तेरा
इंसाफ ?
खून-पसीने से खड़ी
फसल का
ये कैसा
सत्यानाश ?
हर अन्नदाता की
मौत पर ,
ह्रदय में उठता
है ये प्रश्न ?
किस करुणानिधान ने
किया ये कर्म
इतना निर्मम बन ?
शिखा कौशिक 'नूतन'
1 टिप्पणी:
नवरात्रों की हार्दिक मंगलकामनाओं के आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (25-03-2015) को "ज्ञान हारा प्रेम से " (चर्चा - 1928) पर भी होगी!
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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