जब घोर निराशा में डूबे हो
गम का तम हो चहुँ ओर ,
ये लगे कि हम कितने बेबस ,
निरुत्साही और हैं कमजोर !
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उस वक्त ह्रदय में लाना ये
कि फिर प्रयास करेंगें अब
गिर -गिर के उठेंगें बार -बार
जीतेंगें हम , जाएगी हार हार !
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काँटों के पथ पर नग्न पग
चलने से हम न हिचकिचाएं ,
ना ही दुःखों की धूप से बचकर
उदासी के साये में जाएँ !
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संघर्षों की आग में तपकर
इस जीवन को कनक बनायें ,
जगमग -जगमग कर्म हो ऐसे
निज चरणों में जगत झुकाएं !
शिखा कौशिक 'नूतन'
2 टिप्पणियां:
काँटों के पथ पर नग्न पग
चलने से हम न हिचकिचाएं ,
ना ही दुःखों की धूप से बचकर
उदासी के साये में जाएँ !
bahut sarthak v shanti dene vali panktiyan .very nice .
सकारात्मक उर्जा से परिपूर्ण प्रेरणादायक प्रस्तुति..
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