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रविवार, 7 अप्रैल 2013

जहरीले चूहे

कमला बाई को सुबह -सुबह दरवाजे पर बुरी हालत में देख रीना का माथा ठनका । एक्सीडेंट के कारण अस्पताल में भर्ती हुई कल ही तो एक हफ्ते बाद वापस लौटी है ,सर पर पट्टी गले की हंसली टूटने पर पीछे हाथ कर बांधी हुई पूरी छाती पर पट्टी, आँखे सूजी हुई देखते ही फफक -फफक कर रो पड़ी कमला रीना के बहुत बार पूछने पर बताया "मेमसाब मेरी पट्टी देखकर मेरे दोसाल के बच्चे ने जो एक हफ्ते से तरस रहा था दूध को मुहँ  भी नहीं लगाया ,शायद मेरे दर्द को महसूस किया उसने पर वो उसके हरामी बाप ने कल !!बीच में फिर फफक कर रो पड़ी कमला कई बार पूछने पर बोली "अपने तीन बेवड़े दोस्तों के साथ  रात भर पीता रहा बोला आज तो बिना सींगों की गाय है तुम भी मजे  !!और मेमसाब रात भर !!इतना कहते- कहते कमला की आँखों में अंगारे दहकने लगे सुनकर रीना सन्न रह गई अवाक निःशब्द !"अब क्या करना है कमला कुछ देर की खामोशी के बाद रीना ने पूछा ,कमला ने अपनी हिचकियें रोकते हुए कहा मेमसाब कुछ पैसे दे दीजिये चूहे मरने की दवाई लानी है सुनते ही रीना अन्दर तक सिहर उठी नहीं कमला क्या करना चाहती हो ये ठीक नहीं है तुम्हारा दो साल का बेटा ,नहीं मेमसाब !कमला बीच में ही बात काटते हुए बोली "कमला इतनी कमजोर भी नहीं वो तो घर में जहरीले चूहे ज्यादा हो गए हैं ,कल तो मेरी आत्मा तक ही काट डाली ,और दो दिन बाद अखबार में खबर छपी की तीन चार लोग जहरीली शराब पीने से अस्पताल में मर गए । 
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6 टिप्‍पणियां:

Shikha Kaushik ने कहा…

बहुत सही - सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार हम हिंदी चिट्ठाकार हैं

BHARTIY NARI
PLEASE VISIT .

आनन्द विक्रम त्रिपाठी ने कहा…

कहानी का अंत तो ऐसे ही होना था ,कोई दूसरा रास्ता ही नहीं । अच्छी प्रस्तुति ।

मन के - मनके ने कहा…


कुछ जहरीले चूहे ऐसे ही खत्म हो सकते हैं
उन्हें बिलों में नहीं घुसने देना चाहिये.

मन के - मनके ने कहा…


कुछ जहरीले चूहे ऐसे ही खत्म हो सकते हैं
उन्हें बिलों में नहीं घुसने देना चाहिये.

साहित्य और समीक्षा डॉ. विजय शिंदे ने कहा…

कहानी पाठकों के अपेक्षा के विरूद्ध अंत प्राप्त कर चुकी है। खुशी हुई पढ कर की नारी अन्याय सहे बिना लडाई पर उतर आई है। कमला की जीत को बधाई। यह हौसला प्रत्येक नारी रखें। हत्या पाप है पर जहां आप की जान जोखीम में है, स्वाभिमान दांव पर लगा हो वहां शस्त्र तो उठने ही है।
drvtshinde.blogspot.com

Guzarish ने कहा…

sarthak rachna ,badhai
गुज़ारिश : ''यादें याद आती हैं.....''