मैं पुरुष हूँ ,
मैं एक माँ का बेटा हूँ ,
बहन का भाई हूँ और
बेटी का पिता हूँ !
घर से कदम जब बाहर निकलते हैं
और देखता हूँ किसी महिला को
उम्र के लिहाज से
मन में भाव जगते हैं !
कार्यस्थल पर जाते समय
बस में चढ़ते हुए जब
देखता हूँ किसी बुजुर्ग महिला की
बेबसी ,हाथ देकर बस में
चढ़ा लेता हूँ ,
उसमे मुझे मेरी माँ
ही नज़र आती है ,
उसके आशीषों से
मेरी झोली भर जाती है !
कार्यस्थल पर महिला सहकर्मियों
को देखता हूँ लगन से
कार्य करते हुए तो दिखने लगती है
सब में छवि मुझे मेरी बहन की ,
उनकी हँसी में बरसती है
फुहारें सावन की !
कार्यस्थल से लौटते समय
जब देखता हूँ बस की खिड़की से
पार्क में खेलती बच्चियों को ,
सब में नज़र आती है
मुझे मेरी बिटिया
गुलाब की कली ,
मक्खन की टिकिया ,
किसी स्त्री के साथ छेड़छाड़
करने वाले ,बलात्कार करने वाले ,
जब स्त्री के द्वारा यह कहे जाने पर
''तुम्हारे घर में माँ-बहन नहीं हैं ''
लगाते हैं ठहाका , तब वास्तव में
भूल जाते हैं कि घर में
माँ-बहन-बेटी
सबके होती है पर
हैवानियत के आगे
लाचार इंसानियत रोती है !!
शिखा कौशिक 'नूतन'
13 टिप्पणियां:
bahut sundar bhavabhivyakti .badhai .
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार (14-04-2013) के जय माँ शारदा : चर्चा मंच 1214 (मयंक का कोना) पर भी होगी!
अम्बेदकर जयन्ती, बैशाखी और नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
सूचनार्थ...सादर!
बेहतरीन प्रस्तुति
पधारें "आँसुओं के मोती"
behatareen
सहज और सुंदर अभिव्यक्ति। पुरूष के दोनों पक्षों एवं रूपों का समतुल्य वर्णन।
टिप्पणी हेतु हार्दिक आभार . नवसंवत्सर की बहुत बहुत शुभकामनायें हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
BHARTIY NARI
PLEASE VISIT .
हैवानियत के आगे लाचार इंसानियत रोती है...
क्या बात है! यथार्थ दर्शाती कविता के लिए बधाई आदरेया।
बेहतरीन रचना !!
बेहतरीन रचना !!
बहुत बढ़िया ....विविध मानसिकता को दर्शाती रचना .....
टिप्पणी हेतु हार्दिक आभार नवसंवत्सर की बहुत बहुत शुभकामनायें हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
BHARTIY NARI
PLEASE VISIT .
काश सभी माँ तुम्हारे जैसे बेटे को जन्म दे कितने सुन्दर उच्च भाव हैं तुम्हारे काश सभी में हो तो हमारा देश एक महान देश कहलाये बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति हेतु शुभकामनायें
सार्थक पोस्ट..
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