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गुरुवार, 11 अप्रैल 2013

समझौता

लडकियों
तुमको सिर्फ परी कथाये ही
क्यों सुनाई जाती हैं
बचपन से
तुमको सिर्फ गुडिया/ चौके चूल्हे 
का सामान ही मिलता हैं
खिलौनों में
क्यों तुमको राजकुमारी सरीखा कहा जाता हैं
कहानियो में
क्यों सफ़ेद घोड़े पर सवार
राजकुमार आता हैं लेने
सपनो में
जबकि हकीक़त जानती हो तुम
जिन्दगी परी कथा सी नही होती
कोई सफ़ेद घोड़े वाला राजकुमार नही आता
कोई रानी बनाकर नही रखता अपने महल में
जिन्दगी सिर्फ गुडिया जैसे नही होती
समझौता खुद से सबसे पहले करना होता हैं
फिर लोगो के मुताबिक़ ढलना होता हैं
एक अजनबी से रिश्ता जोड़ कर
उनके घर से , परिवार से
रीती-रिवाजों से उनके अपने समाजों से
खुद को जोड़ना होता हैं
इसलिए बचपन से तुमको बहलाया जाता हैं
हाथ में बन्दूक की जगह बेलन पकडाया जाता हैं
भगत सिंह की जगह सिंड्रेला का सपना देखाया जाता हैं ...

5 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
--
नवराम्वत्सर और नवसम्वतसर-२०७० की हार्दिक शुभकामनाएँ...!

Shikha Kaushik ने कहा…

बहुत सही व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार
नवसंवत्सर की बहुत बहुत शुभकामनायें हम हिंदी चिट्ठाकार हैं

BHARTIY NARI
PLEASE VISIT .

Anita ने कहा…

असली प्रश्न है क्या उसे प्रेम करना सिखाया जाता है प्रेम पाना सिखाया जाता है..बंदूक से हर समस्या का हल नहीं होता..

Guzarish ने कहा…

बधाई
http://guzarish66.blogspot.in/2013/04/2.html

Unknown ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद आपका मेरे लिखे शब्दों की सराहना के शब्द देने के लिए