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सोमवार, 1 अप्रैल 2013

बहक न जाये औरत सुनकर बगावतों की खबर

 बहक न जाये औरत सुनकर बगावतों की खबर
 Portrait of young beautiful happy indian bride with bright makeup and golden jewelry - stock photoClose-up portrait of the female face in blue sari. Vertical photo - stock photo

सजा औरत को देने में मज़ा  है  तेरा  ,
क़हर ढहाना, ज़फा करना जूनून है तेरा !

दर्द औरत का बयां हो न जाये चेहरे से ,
ढक दिया जाता है नकाब से  चेहरा  !

बहक न जाये औरत सुनकर बगावतों की खबर ,
उसे बचपन से बनाया जाता है बहरा !

करे न पार औरत हरगिज़ हया की चौखट ,
उम्रभर देता है मुस्तैद होकर मर्द पहरा !

मर्द की दुनिया में औरत होना है गुनाह ,
ज़ुल्म का सिलसिला आज तक नहीं ठहरा !

4 टिप्‍पणियां:

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

औरत होने को एक गुनाह ही बना दिया गया है-और तो और मरने के बाद भी उसे बख़्शा नहीं जाता!

Shalini kaushik ने कहा…

बहुत सुन्दर भावात्मक अभिव्यक्ति ह्रदय को छू गयी आभार जया प्रदा भारतीय राजनीति में वीरांगना .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-1

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…


बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना
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dr.mahendrag ने कहा…

हर तरह के बंधन लगाये हैं पुरुष ने औरतों पर,,न कभी भावना को समझा न उसके महत्व को.जब कि औरत के बिना हर कदम पर मर्द अधुरा है.
औरत ने ही जनम दिया मर्दों को,
पर मर्दों ने बनाया बंदी उसको.
शिखाजी अच्छी प्रस्तुति के लिए बधाई