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शनिवार, 30 मार्च 2013

वो लड़की ! सोये हुए ज़मीर जगा देती है !!

Mad_girl : Latin girl with an angry and desperate look isolated on a white background Stock Photo 

वो  लड़की  पगली  है ,
बावली है , बहकी हुई है ,
तभी तो ठहाका लगा देती है !
उसके ठाहके की गूँज   
सोये  हुए  ज़मीर जगा  देती है !! 


दुष्कर्म पीडिता की मौत पर
आक्रोशित होती है ,रोती है
और जब उस पीडिता का
पिता लेता है इस हादसे
का मुआवजा और भाई
मांगते हैं नौकरी
तब वो लड़की चीखकर

कहती है बेशर्मों बंद करो
ये सब,  वहशीपन
तुममे भी कम नहीं !
मजाक मत बनाओ मेरी
सखी साथ हुई
दरिदगी  का  !



ये कहकर हो जाती है चुप
फिर बिखरे  बालों को कसकर
पकड़ती है हथेलियों  में ,
सिर उठाकर देखती है
सहमी नज़रों से इधर-उधर ,
आँखों के अंगारों से
ठन्डे ज़ज्बात तपा देती है !
वो लड़की पगली है

बावली है , बहकी हुई है ,
तभी तो ठहाका लगा देती है !



 वो कहती है बैठो सडको पर
जब तक दुष्कर्मी सब
चढ़ न जाये फाँसी  पर  ,
ठुकरा दो मुआवज़े ,
नौकरी की पेशकश और
फ़्लैट ,बस याद रखो
वे आँहें ; वे टीस जो
बिटिया ने भरी -सही हैं !
ज़ख्म देने वालों को
 इतने सस्ते में मत छोड़ो !


 ये कहकर खींचती है
लम्बी सांसे और चुप हो जाती है ,
फिर सोचती है अपना नाम
पर याद नहीं आता ,
वो सड़क पर पड़ा एक पत्थर
आकाश में उछाल देती है ,
बुझे आशा के दिए दिल में जगा  देती है ,

वो लड़की पगली है
बावली है , बहकी हुई है ,
तभी तो ठहाका लगा देती है !




शिखा कौशिक 'नूतन '





5 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना।

Shalini kaushik ने कहा…

बहुत भावनात्मक प्रस्तुति मोदी संस्कृति:न भारतीय न भाजपाई . .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MAN

Jyoti khare ने कहा…

गंभीर,गहन अर्थों को समेटकर लिखी रचना
यह एक पीड़ा नहीं हर समाज की दशा है
पत्थर तो उछालना ही होगा
कुंद हो चुके दिमागों को जगाने के लिये
सार्थक रचना की बधाई

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

बहुत ही गंभीर विषय, दर्द का बेहद मार्मिक चित्रण, विचारणीय और ध्यान देने योग्य कविता | ऐसी सोच के लिए सलाम | आभार

कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page

Sunitamohan ने कहा…
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