महाभारत पर हाइकू
महाभारत
अन्याय के खिलाफ
बिछी बिसात
***
भीष्म तुम भी
देखते रहे सब
क्यों चुपचाप?
***
स्वयं को हार
द्रौपदी को लगाया
कैसे दाँव पे?
***
भूली नहीं वो
होना चीर-हरण
लिया बदला
***
भूलो ना कभी
होना चीर-हरण
बना मरण
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नारी, बेचारी!
द्रौपदी सीता पड़ीं
कितनी भारी
***
6 टिप्पणियां:
sarthak prastuti ke sath is blog par aapka shubhagaman huaa hai .hardik aabhar
धन्यवाद शिखाजी! होली पर अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएँ!
सादर/सप्रेम,
सारिका मुकेश
बहुत ही सुन्दर भाव लिए बेहतरीन हाइकू,सादर आभार.
बहुत भी सार्थक और सटीक हाइकु...
बहुत सुंदर श्रेष्ठ हाइकु हेतु हार्दिक बधाई आपको|
कम शब्द बडी बात
यही है हाइकू की सौगात.
होली की शुभकामनाएँ...
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