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शनिवार, 17 नवंबर 2012

'मुझे ऐसे न खामोश करें '

'मुझे ऐसे न खामोश करें '

आ ज मुंह खोलूंगी मुझे ऐसे न खामोश करें ,
मैं भी इन्सान हूँ मुझे ऐसे न खामोश करें !

तेरे हर जुल्म को रखा है छिपाकर दिल में ,
फट न जाये ये दिल कुछ तो आप होश करें !

मुझे बहलायें नहीं गजरे और कजरे से ,
रूमानी बातों से न यूँ मुझे मदहोश करें !

मेरी हर इल्तिजा आपको फ़िज़ूल लगी ,
है गुज़ारिश कि आज इनकी तरफ गोश करें !

मेरे वज़ूद  पर ऊँगली न उठाओ 'नूतन' ,
खून का कतरा -कतरा यूँ न मेरा नोश करें  !                            

शिखा कौशिक 'नूतन'

9 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

ye himmat inme aa hi jani chahiye aakhir kab tak yun hi ghutti rahengi .very nice presentation .

Shalini kaushik ने कहा…

ye himmat inme aa hi jani chahiye aakhir kab tak yun hi ghutti rahengi .very nice presentation .

Gyan Darpan ने कहा…

बहुत खूब

Gyan Darpan

Unknown ने कहा…

dukh sirf es bat ka hai mahilaye hi jab khud ki kajori ki rag ayr dhapli bajati rahegi to fir mahilao ka vikash ho chuka,alakh jalati rahiye manzil to milni hai aur mil ke hi rahegi,shalin tevar jyada asardar hota hai,sundar prastuti

Shikha Kaushik ने कहा…

shalini ji ,ratan ji v madhu ji -hardik aabhar anmol tippani hetu .

Unknown ने कहा…

too Gud

सदा ने कहा…

वाह ... बेहतरीन

shalini rastogi ने कहा…

bilkul sahi kaha nutan ji aapne...aj ki nari ko aise hi khamosh karana asambhav hai... sashakt rachna ke liye badhai!

Rajesh Kumari ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन अभिव्यक्ति बधाई आपको काश आज की हर नारी इतनी जागरूक हो