होंठो से रिसता खून
सूनी आँखे
लहराती सी चाल
बिखरे से बंधे बाल
बनीता
आँगन लीप रही हैं
सूनी आँखे
लहराती सी चाल
बिखरे से बंधे बाल
बनीता
आँगन लीप रही हैं
आज धनतेरस हैं
किसनू लोहे की
करछी खरीद लाया हैं
शगुन के लिए
आते ही उसे
घर की लक्ष्मी पर
अजमाया हैं
बनिता की माँ ने
पहली दीवाली का
शगुन
नही भिजवाया हैं . Neelima Sharma
किसनू लोहे की
करछी खरीद लाया हैं
शगुन के लिए
आते ही उसे
घर की लक्ष्मी पर
अजमाया हैं
बनिता की माँ ने
पहली दीवाली का
शगुन
नही भिजवाया हैं . Neelima Sharma
3 टिप्पणियां:
बहुत कुछ नारी की व्यथा कहती रचना बहुत प्रभावी बहुत बहुत बधाई
nari jivan ke dard ko bakhoobi ukerti prastuti,shubh dipawali
Thank u so much Rajesh jee
madhu jee
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