ख्यालो में अनेक रंग सजते हैं कई सपने बुने जाते हैं , पर सपने सच कहा होते हैं .? सब रंग रंगोली में सजा कर रख दिए थे अपने दामन में बस एक रंग था फीका सा , जिसका रंग रोज बदलता सा . आशा नाम की थी पर जीवन मैं सिर्फ निराशा ही निराशा . 18 दीवाली बीत गयी इस आँगन में .
कहा गया था कि हमारे घर की लक्ष्मी बनेगी . पर वोह अपने मन के आँगन की लक्ष्मी भी नही बन पाई . देखती थी के सब कैसे आँगन सजाती हैं घर के नए परदे लाती हैं ,कोन सा नया बर्तन आएगा घर में ,
भाई दूज पर क्या उपहार जायेगा ननद के घर , दीवाली से महिना भर पहले से घर के सब खिड़की- दरवाज़े साफ करती आशा बस यही सोचती रहती कि कौन सी दीवाली होगी जब वोह खुद जाकर लक्ष्मी पूजन का सामान लाएगी . खुद आगे होकर लोगो के घर जाएगी
, सिल्क की सारी पहन कर ,एक कृत्रिम मुस्कान के साथ उसको चाय के कप के साथ बैठक में बुलाया जाता हैं . कुछ नाम बताये जाते हैं जिनको वोह बिना देखे नमकार कर देती हैं और उसको मठरी बनाने का आदेश मिलते ही बैठक से बाहर आना होता हैं . एक जमींदार घराने की बड़ी बहू , कम पड़ी-लिखी आशा को कभी ऐसे आशा न थी कि शादी के बाद वोह एक बंधुआ बहू होगी जिसका काम होगा घर को सम्हालना जैसा आदेश मिले उसके अनुसार काम होना चाहिए अगर आदेश से इतर जरा भी काम हुआ तो आशा की निराशा कब लातो घूसों से बदहवास हो जाये कुछ नही पता , बड़ी हवेलियों में चीखे बाहर नही आती घुट जाती हैं तकिये के अंदर या साड़ी के पल्लू में .
हाँ हाँ!!! दो बच्चे भी हैं पति भी कोई बलात्कारी होते हैं भला ! हक होता हैं उनका , उसके दो बच्चे हैं जो होस्टल से आते हैं तो उनके लिय माँ एक कुक होती हैं बस!! जो उनका पेट भरे ,जेब पिता के दिए नोटों से इतनी भरी होती हैं के उनको रिश्ते नाते निभाने की समझ नही होती हर रिश्ता उनके लिय एक अवसर होता हैं जिसको कब कैसे भुनाना हैं अच्छे से जानते हैं वोह बच्चे
एल्बम के पुराने पन्नो को सहेजती आशा फिर से खो जाती हैं और रह जाता हैं सिल्क की साड़ी को तह लगाने का काम .........और आशा फूहड़ औरत हो जाती हैं .. . जिसे कुछ नही करना आता सिवा एक नौकरानी के काम करने के अलावा . आज आशा घर भर में नही हैं हैं सब तरफ ढूढ़ मची हैं आज खाना जो नही बना , पर किसी ने घर के पीछे वाली सड़क के बाजु में गुजरती पटरी पर नही ढूँढा
एक नाजुक सी सपनीली आँखों वाली लड़की नाम से आशा सिर्फ निराशा से जी रही थी जिन्दगी ............. क्या आपने आस-पास देखा हैं उसको कही ?देखिये न अपने मन का कोना