मैं नहीं लिखता ; कोई मुझसे लिखाता है !
कौन है जो भाव बन ; उर में समाता है ! .
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कौंध जाती बुद्धि- नभ में विचार -श्रृंखला दामिनी ,
तब रची जाती है कोई रम्य-रचना कामिनी ,
प्रेरणा बन कर कोई ये सब कराता है !
मैं नहीं लिखता ; कोई मुझसे लिखता है !
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जब कलम धागा बनी ; शब्द-मोती को पिरोती ,
कैसे भाव व्यक्त हो ? स्वयं ही शब्द छाँट लेती ,
कौन है जो शब्दाहार यूँ बनाता है ?
मैं नहीं लिखता कोई मुझसे लिखाता है !
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सन्देश-प्रेषित कर रहा वो अदृश्य कौन ?
हम अबोध क्या कहें ! जब वो स्वयं है मौन !
वो कवि से काव्य अनुपम रचाता है !
मैं नहीं लिखता कोई मुझसे लिखाता है !
शिखा कौशिक 'नूतन'
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