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गुरुवार, 30 जनवरी 2014

''सियासत की गोली गांधी के जा लगी !


[Remembering the Mahatma on his death anniversary]
फूल को तलवार बना देती सियासत !
मासूम को मक्कार बना देती सियासत !
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साकेत में धर रूप मंथरा का ये ,
अभिषेक को वनवास बना देती सियासत !
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शकुनि ने फेंके पांसे धर्मराज फंस गए ,
घर-घर को कुरूक्षेत्र बना देती सियासत !
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क़त्ल कर रहे मज़हब के नाम पर ,
इंसान को शैतान बना देती सियासत !
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'नूतन' इसी की गोली गांधी के जा लगी ,
क्यूँ गोडसे को कातिल बना देती सियासत ?
शिखा कौशिक 'नूतन'

2 टिप्‍पणियां:

kuldeep thakur ने कहा…

मेरा प्रयास प्रत्येक हिंदी प्रेमी को एकमंच पर लाना है...
आप भी आये...इस मंच को अपना स्नेह दें...
एक मंच[mailing list] के बारे में---


एक मंच हिंदी भाषी तथा हिंदी से प्यार करने वाले सभी लोगों की ज़रूरतों पूरा करने के लिये हिंदी भाषा , साहित्य, चर्चा तथा काव्य आदी को समर्पित एक संयुक्त मंच है
इस मंच का आरंभ निश्चित रूप से व्यवस्थित और ईमानदारी पूर्वक किया गया है
उद्देश्य:
सभी हिंदी प्रेमियों को एकमंच पर लाना।
वेब जगत में हिंदी भाषा, हिंदी साहित्य को सशक्त करना
भारत व विश्व में हिंदी से सम्बन्धी गतिविधियों पर नज़र रखना और पाठकों को उनसे अवगत करते रहना.
हिंदी व देवनागरी के क्षेत्र में होने वाली खोज, अनुसन्धान इत्यादि के बारे मेंहिंदी प्रेमियों को अवगत करना.
हिंदी साहितिक सामग्री का आदान प्रदान करना।
अतः हम कह सकते हैं कि एकमंच बनाने का मुख्य उदेश्य हिंदी के साहित्यकारों व हिंदी से प्रेम करने वालों को एक ऐसा मंच प्रदान करना है जहां उनकी लगभग सभी आवश्यक्ताएं पूरी हो सकें।
एकमंच हम सब हिंदी प्रेमियों का साझा मंच है। आप को केवल इस समुह कीअपनी किसी भी ईमेल द्वारा सदस्यता लेनी है। उसके बाद सभी सदस्यों के संदेश या रचनाएं आप के ईमेल इनबौक्स में प्राप्त करेंगे। आप इस मंच पर अपनी भाषा में विचारों का आदान-प्रदान कर सकेंगे।
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http://groups.google.com/group/ekmanch
यहां पर जाएं। या
ekmanch+subscribe@googlegroups.com
पर मेल भेजें।


डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (31-01-2014) को "कैसे नवअंकुर उपजाऊँ..?" (चर्चा मंच-1508) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'