फ़ॉलोअर

गुरुवार, 20 मार्च 2014

''ज़हरीले लबों पर मीठी सी मुस्कराहट !''

बर्बादियों का जश्न खंडहर की सजावट ,
अंदर दरार गहरी बाहर की सजावट !
..............................................
अपनों के बीच गैर साज़िशें हैं ज़ालिम ,
ज़हरीले लबों पर मीठी सी मुस्कराहट !
...........................................................
गम हमारे देखकर हमदर्दी जताना ,
खिल्ली उड़ाना पीछे सबकी यही आदत !
.....................................................
खूँखार जानवर हैं दिल पर करें हमला ,
मक्कारियों में करते आंसू की मिलावट !
.....................................................
'नूतन' तू बच के रहना फँसना न भंवर में ,
ये सच है ज़िंदगी का बनावट ही बनावट !
शिखा कौशिक 'नूतन'

2 टिप्‍पणियां:

Anita ने कहा…

इस बनावट के जीवन में सच तो केवल वही है..

Http://meraapnasapna.blogspot.com ने कहा…

खूँखार जानवर हैं दिल पर करें हमला ,
मक्कारियों में करते आंसू की मिलावट !
wowwwwwww........