फ़ॉलोअर

सोमवार, 13 अगस्त 2012

शायद मैं सही थी -इन बुद्धिवादी शैतानों से कौन भिड़ सकता है ?


शायद मैं सही थी -इन बुद्धिवादी शैतानों से कौन भिड़ सकता है ?


ये देखिये किस तरह खिल्ली उड़ाई जाती  है !ये हैं बड़े  होशियार  ब्लोगर .इन्होने  कितना  सटीक  विश्लेषण  किया है मेरे अपने ब्लॉग से पोस्ट हटाने का !!!.उस नरक [नवभारत टाइम्स के ब्लॉग जगत ]से निकल आने की मुझे ख़ुशी है .धन्यवाद मलखान जी जैसे सभी प्रबद्ध ब्लोगर्स का जो साथी  ब्लोगर्स की इतनी विवेकपूर्ण ढंग से खिल्ली उड़ाते हैं .साथ में ये कमेन्ट भी पढ़ें जो दर्शाते हैं की वहां कितनी  गंभीरता से किसी अन्य ब्लोगर को ज़लील किया जाता है -


शिखा कौशिक का ब्लॉग साफ, शक RSS पर-मलखान सिंह  


सच बोलना चाहिए वाली शिखा कौशिक जी कहां गईं?
उनकी एक पोस्ट पर किसी ने अपशब्द लिखते हुए टिप्पणी कर दी थी. इसके बाद उन्होंने बहुत दमदार आवाज़ में एक पोस्ट लिखी और उस टिप्पणीकार को हड़काया भी. इस दमदार पोस्ट पर अन्य ब्लॉगर्स ने शिखा जी की ताजा पोस्ट पर कुछ टिप्पणियां की. मैंने भी एक कमेंट किया. यहां तक तो सब ठीक था. पर मैंने अब देखना चाहा कि मेरे कमेंट का कोई रिप्लाई आया या नहीं तो अचंभित हूं. उनकी कोई भी पोस्ट शो नहीं हो रही. समझ में नहीं आ रहा कि ऐसा क्यों???

क्या मैं इसके पीछे आरएसएस (RSS) का हाथ समझूं, कि उनकी आईडी हैक करके सारी पोस्ट डिलीट कर दी गईं????
आरएसएस पर शक इसलिए जा रहा है, क्योंकि वे अक्सर कांग्रेस के समर्थन में और कांग्रेस के विरोधियों के विरोध में लिखती रही हैं. आरएसएस पर शक जाने का एक कारण और भी बनता है. वह यह है कि यदि एनबीटी के सिस्टम में तकनीकी ख़राबी होती तो सबके ब्लॉग से पोस्ट गायब हो जातीं, पर ऐसा नहीं है.

रंजन माहेश्वरी जी की शैली का इस्तेमाल करते हुए एक वाक्य लिखना चाहूंगा -यह पोस्ट अति गंभीर है और व्यंग्य तो कतई नहीं है.}
1-sharad on nbt का कहना है:
August 13,2012 at 07:53 PM IST
मालखान जी पिछले कुछ समय से हिन्दी फ़िल्मो
 का एक पुराना नगमा बार-2 ज़ुबान पर खुद-ब-खुद आ जाता है .."तू जहा जहा चलेगा , मेरा साया साथ होगा, मेरा साया हो मेरा साया....."
सचिन मास्साब मेरा नाम एकर "इस ब्लॉग पर भी" आ गये क्या :))

2-kanta ujjain का कहना है:
August 13,2012 at 06:00 PM IST
मलखान जी
मुझे तो ऐसा लगता है की ये शिखा जो भी लिखती है इसमे भी आर एस एस का हाथ है क्योंकि ये लेखिका कम और चापलुस ज़्यादा लगती है
3-hukam का कहना है:
August 13,2012 at 05:40 PM IST
लगता है मेडम को समझ आ गया है की राहुल उनकी पहुच से बाहर है, इसलिए खुद ही पोस्ट हटा ली/ एक बात से तो म सहमत हू की चीखा पोशिक जी मे क़ाबलियत तो है, लेकिन कट्टरता की वजाहा से सही इस्तेमाल नही कर पा रही थी/
4-(Sachin Soni को जवाब )- 
मलखान सिंह का कहना है:
August 13,2012 at 05:25 PM IST
आपका कमेंट पढ़कर हंसी से लोट पोट हो गया हूं.}

                                         आज मुझे लग रहा है मैं वास्तव में गलत जगह चली गयी थी .भगवान की कृपा से मैं जल्दी ही उस नरक से बाहर आ गयी -


आप कहते हैं लड़ो जब तक रहे जिस्म में जान ;
लडूँ किससे  मगर जो सामने है इन्सान नहीं ?

जहाँ होती  हो  बातें  मसखरी  की तफरी  की ;
टिके  रहना वहां मेरे लिए आसान  नहीं   .


मिला सुकून मुझे उस दोजख से निकलकर ;
जहाँ थे शख्स ऐसे जिनका कोई ईमान नहीं .


उन्हें आता है मजा मुझको ज़लील करने में ;
ऐसा लगता है उन्हें और  कोई काम नहीं .

थे वहां ऐसे पडोसी जो जख्म देकर हँसते थे ;
है ख़ुशी उस गली में अब मेरा  मकान नहीं .

[ऊपर वर्णित पोस्ट पर आपत्ति कर रही हूँ .देखते हैं क्या होता  है ?वैसे मलखान जी की ये पोस्ट सुपरहिट हो चुकी है .उन्हें बधाई दूं या बुराई जिन्होंने ब्लॉग जगत की गरिमा को इस स्टर पर लाकर रख दिया है -
                                                                                      

                                                                                       shikha kaushik 

2 टिप्‍पणियां:

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

इस तरह की टिप्पणी करने वाले अपनी ही गिरी हुई मानसिकता को उजागर कर रहे हैं।


सादर

Shalini kaushik ने कहा…

you are right.