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शनिवार, 22 फ़रवरी 2014

''कोई वजह तो चाहिए !''


मुस्कुराने के लिए कोई वजह तो चाहिए ,
आह भरने के लिए कोई वजह तो चाहिए !
.............................................................
पूछते हैं सब यही खामोश क्यूँ हो तुम ?
लब हिलाने के लिए कोई वजह तो चाहिए !
.................................................................
बैठे-बिठाये उसने मुझसे बैर कर लिया ,
षड्यंत्र रचने के लिय कोई वजह तो चाहिए !
....................................................................
झोपडी को कर रही ज़लील कोठियां ,
दिल जलाने के लिए कोई वजह तो चाहिए !
................................................
बेवजह 'नूतन' जहां में कुछ नहीं होता ,
ज़िंदा रहने के लिए कोई वजह तो चाहिए !
शिखा कौशिक 'नूतन'

4 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (24-02-2014) को "खूबसूरत सफ़र" (चर्चा मंच-1533) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

kuldeep thakur ने कहा…

***आपने लिखा***मैंने पढ़ा***इसे सभी पढ़ें***इस लिये आप की ये रचना दिनांक24/02/2014 यानी आने वाले इस सौमवार को को नयी पुरानी हलचल पर कुछ पंखतियों के साथ लिंक की जा रही है...आप भी आना औरों को भी बतलाना हलचल में सभी का स्वागत है।


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Anita ने कहा…

फूलों को हंसने के लिए क्या वजह चाहिए, चिड़ियों को गाने के लिए और हवा को बहने के लिए...

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

खूबसूरत अभिव्यक्ति
new postकिस्मत कहे या ........
New**अनुभूति : शब्द और ईश्वर !!!