फ़ॉलोअर

गुरुवार, 31 जनवरी 2013

'घटना-बढ़ना..'




...

"घटना-बढ़ना नियम है प्रकृति का..जैसे प्रेम का माधुर्य समीप रहने से बढ़ जाता है और आँखों से ओझल होते ही घटने लगता है..!!! ठीक वैसे ही जैसे, सागर और आकाश की निकटता से लहरें अपना वेग बढ़ा लेतीं हैं..मिट्टी और जल का आकर्षण बढ़ते ही चिन्ह गहरे गढ़ जाते हैं..

और....और.....रात्रि के दूसरे प्रहर में स्वांसें तेज़ गति से बढ़ती हुईं, अनगिनत ग्लानि, दुःख, रोष, एकाकीपन घटा देतीं हैं..!!!"



---गुरु वचन..गुरु को समर्पित..

...


--प्रियंकाभिलाषी..
३१ जनवरी, २०१३ ..

8 टिप्‍पणियां:

Shikha Kaushik ने कहा…

PRIYANKA JI -MOST WELCOME ON THIS BLOG .
सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार हम हिंदी चिट्ठाकार हैं

priyankaabhilaashi ने कहा…

धन्यवाद शिखा कौशिक जी..

Shalini kaushik ने कहा…

सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति नसीब सभ्रवाल से प्रेरणा लें भारत से पलायन करने वाले
आप भी जाने मानवाधिकार व् कानून :क्या अपराधियों के लिए ही बने हैं ?

priyankaabhilaashi ने कहा…

धन्यवाद शालिनी कौशिक जी..

Rajesh Kumari ने कहा…

सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति हेतु बधाई

दिगम्बर नासवा ने कहा…

गहरा चिंतन ...

priyankaabhilaashi ने कहा…

धन्यवाद आदरणीया राजेश कुमारी जी..

priyankaabhilaashi ने कहा…

धन्यवाद दिगम्बर नासवा जी..