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मंगलवार, 2 जून 2015

मैं नहीं लिखता कोई मुझसे लिखाता है !

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मैं नहीं लिखता ; कोई मुझसे लिखाता है !

कौन है जो भाव बन ; उर में समाता है ! .

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कौंध जाती बुद्धि- नभ में विचार -श्रृंखला दामिनी ,

तब रची जाती है कोई रम्य-रचना कामिनी ,

प्रेरणा बन कर कोई ये सब कराता है !

मैं नहीं लिखता ; कोई मुझसे लिखता है !

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जब कलम धागा बनी ; शब्द-मोती को पिरोती ,

कैसे भाव व्यक्त हो ? स्वयं ही शब्द छाँट लेती ,

कौन है जो शब्दाहार यूँ बनाता है ?

मैं नहीं लिखता कोई मुझसे लिखाता है !

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सन्देश-प्रेषित कर रहा वो अदृश्य कौन ?

हम अबोध क्या कहें ! जब वो स्वयं है मौन !

वो कवि से काव्य अनुपम रचाता है !

मैं नहीं लिखता कोई मुझसे लिखाता है !

 शिखा कौशिक 'नूतन'

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